कहते है पुलिस जनता की रखवाली है। लेकिन जब रखवाले ही गुंडों की तरह हरकते करने लगे तो आम जनता किसके पास न्याय के लिए जाएगी। तजा मामला कानपूर के थाना चकेरी का है। जहाँ रामादेवी चौराहा से चंद कदमों की दूरी पर दरोगा एके सिंह ने शराब के नशे में बिना नंबर प्लेट की गाड़ी से राह पर चलते हुए शिक्षिका का पीछा उसके घर तक किया और सगे भाई-बहनों से अभद्रता की।
क्षेत्रीय निवासियों ने दरोगा को महिलाओं की इज्जत करने का पढ़ाया पाठ
लेकिन दरोगा के होश तब ठिकाने आये जब शिक्षिका ने शोर मचाया। जिसके बाद क्षेत्रीय निवासियों ने दरोगा एके सिंह को रोक लिया और सबक सिखाते हुए उनको महिलाओं की इज्जत करने का पाठ पढ़ाया।
आपको बताते चलें जहां पर एक तरफ योगी सरकार के द्वारा नारी सशक्तिकरण एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस के द्वारा ही महिलाओं के साथ की जा रही है छेड़छाड़।
अब ऐसे में देखना होगा कि जिस उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथ में प्रदेश एवं महिलाओं की इज्जत की रक्षा करने का जिम्मा हो और जब वही पुलिस राह चलते सगे भाई-बहनों और एक शिक्षिका से अभद्रता पर उतारू हो जाए तो कहां हो पाएगा नारी सशक्तिकरण और कहां पढ़ पाएंगी बेटियां।
पुलिस महकमा क्यों नहीं करता कठोर कार्यवाही
सोचने योग्य बात यह है कि आखिर ऐसे मनचले दरोगा के साथ क्यों नहीं कठोर कार्रवाई की जा रही है। आए दिन सोशल मीडिया एवं ऑडियो के जरिए ना जाने कितने दरोगा एवं पुलिस वालों की पोल खोली जा रही हैं। परंतु संबंधित अधिकारियों का इन मनचले पुलिस वालों पर ध्यान क्यों नहीं जा रहा है। पुलिस महकमा यदि कोई कठोर कदम उठाये तो इस तरह के मनचले पुलिस वालों को कड़ा सन्देश जायेगा और वो ऐसा कभी करना तो दूर की बात है सोचेंगे भी नहीं।