रुपहले पर्दे पर अपनी कहानी के दम पर लोगो के दिल को झकझोर देने वाली फिल्म तो आपको याद ही होगी। की किस तरह उन्होंने अपने बच्चो को पाला। लेकिन जब वो बड़े हुए तो उनको घर से बाहर निकाल दिया।
कानपुर के 90 वर्षीय बुजुर्ग शिवभूषण और उनकी पत्नी उमा देवी की कहानी बहुत कुछ बागबान से मेल खाती है। इन्होंने भी अपने बेटे प्रेम कुमार को पाला-पोसा, उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठाया। अपने दम पर उसकी शादी कर दी।लेकिन वो अपने माँ-बाप को छोड़कर अलग रहने लगा। 35 साल बाद अचानक प्रेम कुमार अपनी पत्नी के साथ जबरन घर मे घुस आया और माँ-बाप को धमकाते हुए घर मे रहने लगा। बुजुर्ग मा-बाप ने किसी तरह समझौता करके उसको घर मे रहने दिया। लेकिन जब रोजाना गाली गलौज और मारपीट होने लगी तो आजिज आकर बुजुर्ग दंपत्ति ने पुलिस में इसकी शिकायत करी।
बुजुर्ग दंपत्ति लगातार पुलिस के चक्कर लगाते रहे लेकिन उनका दुखड़ा सुनने के बजाय पुलिस उनको टरकाती रही। आखिर में हारकर उन्होंने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर अपनी पीड़ा दर्ज कराई। लेकिन एक महीने बाद भी मुख्यमंत्री जनसुनवाई से ना कोई मदद मिली और ना ही पीडित से संपर्क किया गया। आखिर में थकहार कर पीड़ित बुजुर्ग और उनकी पत्नी ने योगी से गुहार लगाई है।
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शिवभूषण की 85 वर्षीय पत्नी उमा देवी रोते हुए बताती है कि बेटा रोज मारपीट व गाली बकता है। हम दोनों को घर से बाहर कर मकान पर कब्जा करना चाहता है। लेकिन पुलिस कोई सुनवाई नही कर रही, अब हमारा कोई सहारा नही बचा। उनका कहना है कि हम लोग अपने ही घर मे अपनो के कहर को झेल रहे है।