गोंडा :- वर्षों से बदहाली की शिकार रही पार्वती अरगा झील को लेकर भारत सरकार का एक बड़ा फैसला सामने आया है। इस फैसले के तहत ईरान के रामसर प्रोजेक्ट में हिंदुस्तान के जिन 10 वेटलैंडों (आद्र भूमि) का चयन किया गया है उसमें से एक नाम पार्वती, अरगा झील का भी है, जिसका आने वाले दिनों में तकरीबन 80 करोड़ रुपए की लागत से ना सिर्फ सौंदर्यीकरण किया जाएगा, बल्कि ठंड के दिनों में लाखों किलोमीटर की दूरी तय करके यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिससे उनके रहने व खाने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो, जिस का लुफ्त यहां आने वाले देसी विदेशी पर्यटक भी उठा सकें।
गोंडा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर वजीरगंज इलाके में पड़ने वाली अर्धचंद्राकार की पार्वती, अरगा दो अलग-अलग झीलें हैं, जिसमें एक झील पार्वती जहां 1 किलोमीटर चौड़ी और 6 किलोमीटर लंबी है तो वहीं दूसरी झील अरगा की लंबाई 11 किलोमीटर है। ऐसी मान्यता है कि इस झील की उत्पत्ति मां पार्वती के भगवान शंकर के अर्घ्य को जल चढ़ाने के दौरान हुई थी। यही कारण है कि आज तक इस झील का पानी कभी नहीं सूखा। जबकि इस झील का ना तो कहीं किसी नहर नाले से कोई संबंध है ना ही अन्य वाटर रिसोर्सेज से, बावजूद इसके इस झील में साल के 12 महीने लबालब पानी भरा रहता है। जिसकी गहराई तकरीबन 30 से 40 फुट के करीब बताई जाती है। झील के भीतर ही खुद का अंडर ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज मौजूद है जिसकी वजह से यह झील हमेशा हरी-भरी बनी रहती है। लेकिन प्रॉपर मेंटेनेंस और अन्य तरह के इंतजाम ना होने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या ना के बराबर रहती है। जबकि तमाम बार इसके सौंदर्यीकरण के प्रयास भी शासन स्तर पर होते रहे, जिन्हें आज तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
ऐसे में ईरान के रामसर प्रोजेक्ट में हिंदुस्तान की 10 जिलों में से पार्वती अरगा को शामिल कर भारत सरकार ने गोंडा के लोगों को एक बड़ी सौगात से नवाजा है जो आने वाले दिनों में टूरिज्म को बढ़ावा देने में बेहद मददगार साबित होगी, क्योंकि दिसंबर, जनवरी के महीने में जिस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही होती है, उस समय पार्वती, अरगा झील लाखों किलोमीटर दूर से आने वाले उन प्रवासी पक्षियों से ढक जाती है जो ठंड के दिनों में अपना देश छोड़कर यहां रहने और खाने के लिए आते हैं।