महाभियोग क्या है, जिसके कारण ट्रम्प को देना पड़ सकता है इस्तीफा

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अमरिका के निचले सदन (house of representatives) हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। अमरिका के निचले सदन की स्पीकर नैंसी पोलोसी ने कहा की अमेरिका के राष्ट्रपति ने जो किया है उसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए हम अमेरिका को ऐसे राष्ट्रपति से बचा रहे है जो हरदम कहते रहते है की वो जो चाहे वो कर सकते है जोकि अमेरिका के संविधान का उल्लंघन है।

ट्रम्प पर क्यों चला महाभियोग

अमेरिका के राष्ट्रपति (Donald Trump) डोनाल्ड ट्रम्प पर तीन आरोप है। पहला आरोप है की ट्रम्प ने राष्ट्रपति की शक्ति का दुरपयोग किया है। ट्रम्प पर दूसरा आरोप है की अपने राजनितिक फायदे के लिए ट्रम्प ने राष्ट्रिय सुरक्षा को खतरे में डाला। तीसरा आरोप है की इन मामले की संसदीय जाँच में सहयोग करने से इंकार किया और संसद का रास्ता रोका। ताकि उनके ऊपर महाभियोग न चल सके।

अमेरिकी संसद का गणित

अमेरिका में दो बड़ी पार्टियां है,एक का नाम डेमोक्रेट है और दूसरी पार्टी का नाम रिपब्लिकन। जिस तरह भारत में दो सदन है उसी तरह अमेरिका में भी दो सदन है। निचले सदन का नाम ‘हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव’ है और ऊपरी सदन का नाम (Senate) ‘सीनेट’ है। निकले सदन में डेमोक्रेट पार्टी की बहुमत ( 233 संसद ) है और रिपब्लिकन के 197 संसद व 1 निर्दलीय, 4 खली है।

वहीँ अगर ऊपरी सदन सीनेट की बात करे तो रिपब्लिकन की बहुमत ( 53 संसद ) है और डेमोक्रेट के पास 45 संसद व 2 निर्दलीय। अगले साल नवंबर 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने है। जिसमे ट्रम्प को चुनौती अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति जोई बर्डेन से मिल सकती है, जोकि डेमोक्रेट पार्टी के है। बता दें जब जोई बर्डेन उपराष्ट्रपति थे तो उनका बेटा हंटर यूक्रेन की एक गैस कम्पनी में काम करता था।

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ये है आरोप 

डोनाल्ड ट्रम्प पर आरोप है की ट्रम्प ने जुलाई 2019 में युक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेनस्की को कॉल की और कहा की वो अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति जोई बर्डेन और उनके बेटे हंटर के खिलाफ जाँच कराये और दबाव बनाने के लिए यूक्रेन को सैन्य मदद के लिए दी जाने वाली 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता पर रोक लगा दी थी। डोनाल्ड ट्रम्प पर ये आरोप लगने के बाद निचले सदन में वोटिंग कराई गयी और 216 वोटों के साथ ट्रम्प पर महाभियोग चलाने को मंजूरी दी गयी।

अमेरिका में क्या है महाभियोग चलाने की प्रक्रिया

अमेरिका में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के लिए सबसे पहले प्रतिनिधि सभा की 6 समितियां मामले की जाँच करती हैं। अगर मामला गंभीर हुआ तो पूरे मामले को न्याय समिति के पास भेजा जाता है। यदि न्याय समिति को सबूत मिलते है तो निचले सदन (हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव) में वोटिंग कराई जाएगी। यहाँ अगर महाभियोग के पक्ष में ज्यादा वोट आते हैं तो मामला ऊपरी सदन ‘सीनेट’ में भेजा जाता है।

जहाँ पर धराओं के तहत सुनवाई होती है और इसकी अगुवाई अमेरिका के मुख्य न्यायधीश करते है। सीनेट में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के लिए ‘दो तिहाई’ से ज्यादा वोटों की आवश्यकता होती है। यदि दो तिहाई से ज्यादा वोट महाभियोग के पक्ष में आते है तो राष्ट्रपति को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ती है।

निचली सदन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चलाने के लिए ज्यादा वोट पड़े। अब यदि सीनेट में भी महाभियोग चलाने के पक्ष में ज्यादा वोट आये तो ट्रम्प को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। ट्रम्प पहले राष्ट्रपति नहीं है जिनपर महाभियोग चलने जा रहा है। इससे पहले भी अमेरिका के दो राष्ट्रपति के ऊपर महाभियोग चल चूका है पर आरोप साबित न होने के कारण उनको स्तीफा नहीं देना पड़ा था।

1868 में पहली बार एंड्री जॉनसन पर महाभियोग लाया गया था पर 1 वोट की कमी की वजह से एंड्री जॉनसन बच गए। इसके बाद 1998 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर महाभियोग लाया गया पर वो भी सीनेट में बच गए और तीसरे राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने वोटिंग होने से पहले ही स्तीफा दे दिया। इसलिए उनपर महाभियोग नहीं चल सका।

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