आज है Captain Vikram Batra की Death Anniversary, जानें किस चोटी को जाना जाता है उनके नाम से

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भारत-पाकिस्तान के बीच हुए Kargil War के बारे में कौन नहीं जनता होगा और Captain Vikram Batra के पराक्रम से कौन नहीं परचित होगा। लेकिन इसकी अहमियत भारतीय सैन्य इतिहास में बहुत अधिक है क्योंकि इस युद्ध में हमारी सेना ने साहस के साथ हालात के मुताबिक जिस रणकौशल और धैर्य का परिचय दिया, वह अद्वितीय था. इस युद्ध में Vikram Batra को उनके अदम्य साहस और पराक्रम के लिए मरणोपरांत सेना के सबसे बड़े सम्मान परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया था।

Captain Vikram Batra का जन्म 9 सितंबर, 1974 को पालमपुर में हुआ था। इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई की और कॉलेज के दिनों में सेना में जाने का फैसला किया। वो 13 जम्मू और कश्मीर राइफल्स के कैप्टन थे। भारत पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में Vikram Batra की अहम् भूमिका रही थी।

सेना में शामिल होने के 2 साल बाद ही उन्हें युद्ध में जाने का मौका मिल गया। दिसंबर 1997 उन्हें जम्मू में सोपोर में 13 जम्मूकश्मीर राइफ्लस में लेफ्टिनेट पद पर नियुक्ति मिली थी। विक्रम बत्रा को श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर अहम 5140 चोटी को मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गयी। इसके बाद Vikram Batra ने बड़ी समझदारी से अपने साथियों का नेतृत्व किया और 20 जून 1999 के सुबह साढ़े तीन बचे चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।

7 जुलाई 1999

इतनी बड़ी सफलता के बाद Captain Vikram Batra की टुकड़ी को 4875 की चोटी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी मिल गयी। यहाँ पर पाकिस्तान के सैनिकों ने मजबूत नाकेबंदी कर रखी थी। लेकिन Captain Vikram Batra की टुकड़ी के आगे वो टिक न सके। यहाँ पर Captain ने अपनी बहादुरी और सूझबूझ से काम लिया और अपने सैनिकों को बचाते हुए पाकिस्तान के कई सैनिकों को मार गिराया और चोटी पर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन इस युद्ध में बुरी तरह घायल हो गए और 7 जुलाई 1999 को ही कारगिल युद्ध में शहीद हो गए। Vikram Batra को मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान मिला साथ ही 4875 की चोटी को भी विक्रम बत्रा टॉप नाम दिया गया।

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