पाकिस्तान के पख्तूनख्वाह में एक मौलवी ने कट्टरपंथियों के साथ मिलकर मंदिर में आग लगा दी थी और उसके बाद उसे पूरी तरह से तोड़ दिया था। इस मामले पर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। लेकिन पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर खुद संज्ञान लिया है।
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस घटना से पाकिस्तान की छवि पूरी दुनिया के साथ में खराब हुई है। इसलिए अगले दो हफ्तों के अंदर मंदिर निर्माण का कार्य फिर से शुरू किया जाए। इसके साथ ही इस में आने वाला पूरा खर्चा दंगाइयों से वसूले जाए। इसके साथ ही पाकिस्तान में अन्य सभी मंदिरों का विवरण भी कोर्ट ने मांगा है।
100 साल पुराना था मंदिर
पाकिस्तान में तोड़ा गया मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। साल 1919 में संत परमहंस जी की अंत्येष्टि की गई थी। जिसके बाद से हिंदू लगातार यहां पर पूजा-पाठ करते रहे और कुछ समय बाद यहां पर एक सरकारी ट्रस्ट ने मंदिर का निर्माण कराया।
लेकिन 1997 में मंदिर को कुछ कट्टरपंथियों ने मिलकर तोड़ दिया था। जिसके बाद हिंदुओं ने उसके खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और 2015 में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर बनाने का फैसला दिया। इसके बाद हिन्दुओं ने मंदिर को पुनः बनाया। लेकिन 30 दिसंबर 2020 को एक बार फिर मौलवी और कुछ कट्टरपंथियों द्वारा मंदिर को गिरा दिया गया।
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