एक तरफ़ प्रदेश सरकार और पुलिस महिला सुरक्षा के लिए तमाम नए नए इंतज़ामात कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ़ महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में कोई कमी आती नहीं नहीं दिख रही है। सरकार और पुलिस की लाख कोशिशों के वावजूद महिलाओं के साथ होने वाले घृड़ित अपराध काम होने का नाम नहीं ले रहे। इससे एक बार फिर से यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि क्या क़ानून बनाकर महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को वास्तव में रोका जा सकता है ? जबकि अपराधियों में क़ानून का भय ही न हो।
आंगनवाड़ी सहायिका से दुष्कर्म !
ताज़ा मामला है बदायूँ का जहाँ एक 50 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई। वहशी दरिंदो ने महिला के शरीर पर कई जग़ह वार किया जिससे उसका शरीर छत-विछत हो गया। इस अमानवीय घटना ने पूरे प्रदेश की जनता को हिलाकर रख दिया। एक बार फिर से प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए। यह घटना बदायूँ जिले के उघैती थाना क्षेत्र में हुई है।
बताया जा रहा है कि मृतक महिला आगनबाड़ी में सहायक के तौर पर काम करती थी। मंगलवार को वह मंदिर में पूजा करने गई थी। वहीं पर मंदिर के महन्त ने अपने एक ड्राइवर व अन्य साथियों के साथ मिलकर पहले महिला के साथ सामूहिक दुराचार किया फिर मानवता को शर्मशार करने वाली ऐसी घटना को अंजाम दिया जिसका ज़िक्र यहाँ शब्दों में नहीं किया सकता। शब्दों की भी अपनी एक मर्यादा होती है। ऐसे समझिये की दरिंदों ने निर्भया वाली घटना की पुनरावृत्ति की है।
अपराधी अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर !
ख़बर लिखे जाने तक पुलिस ने महन्त उसके चेलों तथा ड्राइवर के ख़िलाफ़ बलात्कार एवम हत्या का मुक़दमा दर्ज़ किया है। अपराधी अभी भी पुलिस की पंहुच से दूर हैं। उन्नाव और हाथरस की घटना के बाद यह तीसरी ऐसी अनहोनी है जिसका एक सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है। लेकिन यदि हमारे समाज में, हमारे आस पास इस तरह की घटनाएं हो रही हैं तो निश्चित रूप से हमें ख़ुद के अंदर झांकर देखने की जरुरत है। कहीं हमारे इंसान से दिखने वाले शरीर के अंदर कोई भेड़िया तो नहीं छिपा बैठा है। ख़ैर भेड़िया भी कम से कम इंसान से कम खूंखार होता है।
उन्नाव व हाथरस के बाद यह तीसरी ऐसी घटना है जो हमारे सभ्य समाज पर एक काले धब्बे की तरह है। इसके दाग़ तभी धुलेंगे जब आरोपियों की गिरफ़्तारी होगी और उन्हें कठोर सज़ा दी जाएगी। अपराधियों की जल्द से जल्द गिरफ़्तारी कर उन्हें सजा दिलाने का काम पुलिस प्रशासन का है और पुलिस ऐसा करके अपराधियों के सामने एक उदहारण पेश कर सकती है। जिससे कोई भी अपराधी भविष्य इस तरह के अमानवीय अपराध के विषय में सपने में भी न सोच सके।