25 नवंबर को यूपी राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो रही है और 9 नवम्बर को चुनाव होने है। जिसे देखते हुए बीजेपी ने अपने आठ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। इस सूची में एक नाम खास है और वो है, उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस व अनुसूचित जाति के अध्यक्ष रह चुके बृजलाल का।
बृजलाल 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी है। 2007 में यह एडीजी के रूप में तैनात थे। उसी साल विधानसभा चुनाव हुए और मायावती की सरकार आई। कुछ ही समय में मुख्यमंत्री के साथ बृजलाल के ताल्लुकात काफी अच्छे हो गए और 2011 में मायावती की सरकार ने उन्हें DGP बना दिया।
3 महीने बाद डीजीपी पद से हटाए गए
2012 के विधानसभा चुनाव होने थे और बृजलाल आईपीएस व यूपी DGP दोनों पदों पर थे। जिसके चलते इसका विरोध होने लगा। कुछ पार्टियों ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की और इसके बाद आयोग ने उन्हें डीजीपी पद से हटा दिया।
2015 में बीजेपी में शामिल हुए
इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बृजलाल बीएसपी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन इसके विपरीत उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन कर सभी को हैरान कर दिया। रिटायरमेंट के 51 दिन बाद 21 जनवरी 2015 को बृजलाल ने बीजेपी ज्वाइन की थी।
यूपी SC/ST आयोग के अध्यक्ष बने
इसके बाद उन्होंने पार्टी में रहकर काफी काम किया। कुछ समय तक, जब उन्हें कोई पद नहीं मिला तो कई सवाल उठने लगे। लेकिन बृजलाल ने पद से ज्यादा अपने कार्य को प्राथमिकता दी और परिणाम स्वरूप 3 साल बाद 18 अप्रैल 2018 में अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बने।
मिला राज्य मंत्री का पद
उन्होंने अध्यक्ष पद पर रहते हुए काफी काम किया और नवंबर 2018 में ही योगी सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। लगभग 1 साल 7 महीने तक बृजलाल कमीशन के अध्यक्ष रहे। 2019 को बृजलाल 65 वर्ष के हुए और अध्यक्ष पद से रिटायर हो गए।
बृजलाल इसके बाद रुके नहीं, वे पार्टी में रहकर लगातार काम करते रहें और पार्टी ने उनकी क्षमता को पहचाना व अब राज्यसभा सांसद के लिए नामित किया है। बता दें बृजलाल को चार बार राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है।