Jagannath Puri Mandir Ke Rahasya जिन्हे विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया

Jagannath Puri Mandir ke rahasya
Jagannath Puri Ke rahasya

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir) भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा के शहर पुरी में स्थित है।इस मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण धरती में बैकुंठ स्वरुप में बैठे है।यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप भगवान जगन्नाथ को समर्पित है।यह भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।मान्यता है की इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में आज भी श्री कृष्ण का दिल धड़कता है।  सनातन परंपरा में जगन्नाथ मंदिर को वैष्णव परंपरा का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। आस्था के इस धाम में प्रतिदिन देश विदेश से हज़ारो लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए यहाँ पहुँच रहे है।  

मंदिर परिसर 400,000 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है और एक ऊंची दीवार से घिरा हुआ है।मंदिर के मुख्य गर्भगृह में तीन देवता हैं, भगवान जगन्नाथ (Bhagwan Jagannath) , उनकी बहन सुभद्रा और उनके बड़े भाई बलभद्र।यह मंदिर हिंदुओं के लिए पवित्र है।मंदिर अपनी वार्षिक रथ यात्रा या रथ उत्सव के लिए जाना जाता है।जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे चार धाम यात्रा के रूप में जाना जाता है।

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जगन्नाथ मंदिर को बद्रीनाथ, द्वारका और रामेश्वरम के साथ हिंदुओं के लिए चार सबसे पवित्र स्थानों (चार धाम) में से एक माना जाता है।मंदिर के चार दरवाजे हैं।यह हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है, और यह हर साल हजारों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

जगन्नाथ पूरी के अनसुलझे रहस्य  

भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर के यूं तो कई रहस्य है । (Unsolved Mysteries of Jagannath Puri)  मंदिर से लेकर मूर्तियों तक ध्वज से लेकर यात्रा तक हर जगह में अद्भुत रहस्य है रसोई का भी अपना एक रहस्य है , ध्वज और मूर्तियों के बदलने से लेकर उनकी पुनर्स्थापना तक कई रहस्य है जिन को आज तक कोई भी वैज्ञानिक नहीं सुलझा पाए है। (Jagannath Puri Mandir ke rahasya) ये मंदिर की स्थापना से लेकर आज तक अभी भी बरकरार है।

रसोई का क्या रहस्य है 

जगन्नाथ मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तनों को एक के ऊपर एक क्रम में रखा जाता है, इसमें नीचे वाले बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकना चाहिए लेकिन सबसे ऊपर रखे बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है, जबकि, नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है ।  जोकि अपने आप में हैरान कर देने वाला है।  

हवा के विपरीत दिशा में लहराता है ध्वज 

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। (Jagannath Puri Mandir ke rahasya) जब हवा समुद्र से स्थल की ओर चलती है तब ध्वज हवा के विपरीत समुद्र की ओर लहराता है और जब हवा स्थल से समुद्र की ओर चलती है तब ध्वज स्थल की ओर लहराता है। 

मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते हैं पक्षी 

भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कभी भी कोई हवाई जहाज नहीं उड़ता है और न ही कोई पक्षी कभी भी मंदिर के शिखर में बैठता है।  भारत में अकेला यही एक मंदिर है जिसके ऊपर से कभी कोई भी हवाई जहाज नहीं गुजरता आज तक वैज्ञानिको ने भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए की ऐसा क्यों होता है।

नहीं दिखती है शिखर की परछाई

जगन्नाथ मंदिर की ऊंचाई करीब 212 फ़ीट है। (Jagannath Puri Mandir Ke Rahasya)  इस मंदिर के ऊपर बैठने वाले सभी पक्षियों की परछाई तो बनती है लेकिन इस मंदिर के शिखर की परछाई कभी नहीं बनती | मंदिर की संरचना ऐसी है कि दिन के किसी भी समय इसकी कोई छाया नहीं पड़ती। यह भी एक रहस्य है। 

मूर्ति बदलने का रहस्य 

मंदिर में हर 12 वर्ष में भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और उनके बड़े भाई बलभद्र की मूर्तिया बदली जाती है जिसके बाद वहा नयी मूर्तियों की स्थापना की जाती है , जिस समय मंदिर की मूर्तियों को बदला जाता है उस समय पूरे शहर की बिजली को बंद कर दिया जाता है।  इस दौरान काफी सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाता है और सिर्फ पुजारिओं को प्रवेश की अनुमति होती है। 

नहीं सुनाई देती है लहरों की आवाजे 

जगन्नाथ मंदिर के बाहर समुद्र की लहरों की आवाज तो सुनाई देती है लेकिन मंदिर में प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की जरा सी भी आवाज सुनाई नहीं देती है। 

तीनो मूर्तियों का रहस्य

मंदिर में जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां होती हैं, लेकिन इन मूर्तियों का सिर्फ एक ही हाथ होता है। इसका रहस्य यह है कि ये मूर्तियां एक बार बनाई जाती हैं और उन्हें फिर से नहीं बनाया जाता है।

रथ यात्रा की अनोखी शक्ति

जगन्नाथ पुरी मंदिर में वार्षिक रथ यात्रा (Jagannath Puri Rath Yatra) की एक अनोखी शक्ति है। रथ यात्रा के समय रथ को धक्का देने के लिए लाखों लोग जुटते हैं, लेकिन इसके बावजूद रथ चलता है और बहुत कम अवरोध होता है। इस अद्भुत शक्ति का वैज्ञानिक कारण अभी तक समझ में नहीं आया है।

 

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