कहते है कि अपराधी और आतंकवादियों की कोई जाती नहीं होती। इस लिए उन्हें जाती या धर्म के आधार पर सजा नहीं देनी चाहिए। इस बात को खुद AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी कह चुके है।
लेकिन उन्होंने एक विवादित बयान दिया है। जिसमें उन्होंने धर्म के आधार पर अपराधियों के मारे जाने के आंकड़े एक जनसभा के सामने रखे।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि UP में सरकार बनी और 2017 से 2020 के दरमियान 6475 एनकाउंटर हुए। जिसमें से 37% मुस्लमान थे। उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 18 से 19% के दरमियान है। आखिर ये जुलम क्यों?
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अब सवाल ये उठता है कि असदुद्दीन ओवैसी ने जो पहले बयान दिया था कि अपराधी का कोई धर्म या जाती नहीं होती वो उसे मानते है या जो इस बार बयान दिया है उसे? असदुद्दीन ओवैसी देश में एक बड़े नेता के तौर पर देखे जाते है और इन्हे करोड़ों लोग फॉलो भी करते है। इसके साथ ही AIMIM पार्टी प्रमुख भी है। ऐसे में इस तरह के बयान देना क्या उचित है?