बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की RBI के खिलाफ डाली गयी याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका डाली थी जिसमे उन्होंने कोर्ट से यह मांग की थी कि बिना किसी पहचान पत्र के ₹2000 के नोट को बदलने के रिजर्व बैंक के आदेश को रोक दे। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गयी याचिका को खारिज कर दिया और साथ में उनपर जुर्माना भी लगाया।
अश्विनी उपाध्याय की दायर याचिका (PIL ) में क्या था
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी दायर याचिका में कोर्ट से यह अपील की थी थी ,आज देश में लगभग हर परिवार के पास बैंक अकाउंट है और साथ ही सबके पास आधार कार्ड है ,फिर बैंक क्यों बिना पहचान पत्र के नोट बदल रहे है। क्योंकि उनका मानना था कि यह गैंगस्टर, माफिया , अपराधी पृवृत्ति के लोग और उनके सहयोगी बिना किसी पहचान पत्र के अपनी मुद्रा बदल लेंगे और वो किसी भी सरकारी रिकॉर्ड में भी नहीं आएंगे जिससे अपराधियों और कालाधन वालो को सहूलियत मिलेगी।
कौन है अश्विनी उपाध्याय
अश्विनी उपाध्याय (ashwini upadhyay advocate) भारतीय जनता पार्टी के सदस्य है। वो बीजेपी के प्रवक्ता पद पर रह चुके है। वो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वकील भी है।अश्विनी उपाध्याय कोर्ट में अपने सामाजिक मुद्दों को लेकर याचिका डालने के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते है। वो जनहित और भ्रस्टाचार से जुड़े मुद्दों के लिए अक्सर कोर्ट में याचिका डालते रहते है। वो कई बार हिन्दू मंदिरों और अन्य मुद्दों को लेकर कई PIL हाई कोर्ट में डाल चुके है।
जन्म – 17 मार्च 1975
जन्मस्थान – प्रयागराज
उम्र – 46 वर्ष
शिक्षा – स्नातक (विधि LLB)
राजनीती – बीजेपी 2014 (पूर्व में आम आदमी के संस्थापक सदस्य थे )
19 मई को आयी थी RBI की अधिसूचना
रिज़र्व बैंक ने 19 /05/2023 को अपने आदेश में कहा था की 30 सितम्बर 2023 के बाद से ₹2000 के नोट बाजार में प्रचलन में नहीं रहेंगे। इसके साथ ही RBI ने अपने आदेश में नोट बदलने की प्रक्रिया भी बताई थी। जिसमे ये कहा था कोई भी व्यक्ति बिना पहचान पत्र व कोई फॉर्म भरे बैंक में जाकर अपने नोट बदल सकता है। एक व्यक्ति एक बार में ₹2000 की 10 नोट एक साथ बदल सकता है।
RBI की अधिसूचना के खिलाफ बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने यह मांग कि कोर्ट रिज़र्व बैंक और SBI Bank को आदेश दे की वो बिना पहचान पत्र के किसी के भी नोट न बदले।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा यह एक वैधानिक प्रक्रिया है
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में 23 मई को दायर की थी।आरबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने याचिका का विरोध करते हुए अपना पक्ष रखा।Delhi High Court ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आज 29 मई को अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया और याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी की कोर्ट ने पहले भी कई मामलो में यह कहा है की कोर्ट आर्थिक मामलों में कोई फैसला नहीं करेगी। साथ ही कोर्ट ने यह कह है की वह पहले भी ऐसे कई मामलो में फैसले सुना चुकी है वह केंद्र सरकार और RBI से जुड़े कोई भी आर्थिक मामलो में वह फैसला नहीं सुनाएगी।