अयोध्या :। कारसेवकपुरम में आयोजित विहिप, संतों और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बड़ा बयान दिया है उन्होंने कहा कि जनवरी माह में नींव बनाने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि नींव के पिलर्स जो नमूने के तौर पर बने थे, वे मशीन से हुई जांच में अपेक्षित सही नहीं पाए गए।
उन्होंने बताया भारत के 5 लाख से अधिक गांवों, बड़े शहरों के 4 हजार से अधिक वार्ड में विहिप कार्यकर्ता जायेगा। राम मंदिर निर्माण को लेकर व्यापक स्तर पर जनसंपर्क अभियान चलेगा। शहरों और गांवों के लगभग 12 करोड़ परिवार राम मंदिर निर्माण से जुड़ेंगे। कारसेवक पुरम में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास और विहिप पदाधिकारियों की संतों के साथ बैठक देर शाम संपन्न हुए। वही प्रयागराज, कलकत्ता, उड़ीसा, मध्य प्रदेश समेत देश भर के 40 शहरों में भी विहिप पदाधिकारियों ने संत महंतों के साथ बैठक की। ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने बताया मकरसंक्रांति से रविदास जयंती (माघ पूर्णिमा) तक 42 दिन का जनसंपर्क अभियान होंगा।
इस अभियान में 3 से 4 की संख्या में कार्यकर्ताओं की टोलियां घर, दफ्तर, बाजारों में जाकर लोगों से संपर्क करेंगी।उन्होंने कहा 10-100 और 1000 रुपए के कूपन के जरिए मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि जुटाई जाएगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव व विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा हिंदू परंपरा में मंदिर भगवान का घर है। मंदिर को तोड़ा गया। अब इसे दोबारा बनाया जा रहा है। करोड़ों जनता लगभग 36 साल से राम मंदिर निर्माण के लिए प्रयास कर रही है। हजारों युवकों का जीवन राम मंदिर के लिए बलिदान हुआ। अब करोड़ों लोगों के सहयोग से राम मंदिर बनेगा।
देश भर मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह है, उन्होंने कहा 14 जनवरी को दिल्ली के विहिप कार्यकर्ता राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के पास सहयोग के लिए जाएंगे और जनवरी माह में नींव बनाने का काम शुरू होगा। आईआईटी चेन्नई,आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली,आईआईटी गुवाहाटी, सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार कर रहे है। राम जन्मभूमि पर 17 मीटर नीचे भुरभुरी बालू ,उसके नीचे भी मिट्टी नहीं, भुरभुरी बालू में पकड़ नही होती। भूमि अधिग्रहण को लेकर ट्रस्ट ने साफ किया और चंपत राय ने कहा 70 एकड़ भूमि के अलावा अन्य भूमि का नहीं अधिग्रहण होंगा। सरकार भी नहीं अधिग्रहण करेंगी।जमीन के नीचे पानी के प्रवाह रोकने के लिए रिटेनिंग वाल बनाई जाएगी। बांध बनने की पद्धति का प्रयोग होगा, 5 एकड़ भूमि पर मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए रिटेनिंग वाल बनेगा।