उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर जहाँ एक तरफ घमासान जारी है वही दूसरी तरफ इसको लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव भी आ गया है। सीएए को एलयू के पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव पर राजनीति में एक नई बहस शुरू हो गई है। विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताया है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) संसद से ही सीएए का विरोध करती चली आ रही हैं। उनका कहना है कि बीएसपी जब उत्तर प्रदेश में सत्ता में आएगी तो इसको पाठ्यक्रम से वापस ले लेगी।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा है कि “सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी”।
सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इसपर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।
— Mayawati (@Mayawati) January 24, 2020
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) ने भी सीएए को एलयू के पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव को लेकर तंज किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि “सुनने में आया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में CAA को रखा जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो शीघ्र मुखिया जी की जीवनी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी व लेक्चर की जगह उनके प्रवचन होंगे और बच्चों की शिक्षा में उनकी चित्र-कथा भी शामिल की जाएगी”।
सुनने में आया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में CAA को रखा जा रहा है. अगर यही हाल रहा तो शीघ्र मुखिया जी की जीवनी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाएगी व लेक्चर की जगह उनके प्रवचन होंगे और बच्चों की शिक्षा में उनकी चित्र-कथा भी शामिल की जाएगी. pic.twitter.com/6UABUeM1du
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 24, 2020
लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) का कोर्स अपडेट हो रहा है जिसमे यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग ने सीएए को भी कोर्स में शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा है। पॉलिटिकल साइंस विभाग का कहना है कि सीएए अब एक कानून के रूप में लागू हो चुका है इसीलिए इसे एलयू के पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव लाया गया है। इस विभाग का मानना है कि जम्मू व कश्मीर में धारा 370 और सीएए जैसे कानूनी बदलाव किये गए हैं जिसके चलते यह ज़रूरी भी है। एलयू के कुलपति (VC) प्रोफ़ेसर आलोक कुमार राय ने इस पूरे मामले में कहा है कि विभाग की तरफ से अभी केवल यह प्रस्ताव रखा गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने से पहले उसे बोर्ड मीटिंग तथा कार्यपरिषद से गुजरना होता है और इसमें काफी लम्बा समय लग जाता है।