हाफ-मून फार्मिंग ये खेती करने की नयी तकनीक है। जो किसानो के लिए एक वरदान की तरह है। इस तकनीक के माध्यम से सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में फसल को उगाया जा सकता है। सबसे अच्छी बात (half moon farming) हाफ-मून फार्मिंग की ये है की किसानो को इसके लिए एक रूपए भी खर्च नहीं करना होगा। क्योंकि इसके लिए कोई मशीन या अन्य साधन की आवश्यकता नहीं होती। खेती की इस नयी तकनीक में सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में ज़मीन को आधे चन्द्रमा के आकार में खोदा जाता है और जब बारिश होती है तो पानी बहता नहीं और इस आधे चन्द्रमा आकार में खुदी जमीन में बारिश का पानी जमा हो जाता है। जिससे सूखी, शुष्क मिट्टी पानी को अच्छी तरह सोख लेती है और फसल उग पाती है। इससे सूखी भूमि पर भी खेती की जा सकती है और फसल की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है।
क्या आपने कभी ? हाफ-मून फार्मिंग के बारे में सुना है?
सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में ज़मीन आधे चन्द्रमा के आकार में खोदी जाती है जिससे अगली बारिश के दौरान पानी सतह से बहता नहीं है बल्कि सूखी, शुष्क मिट्टी उसे अच्छी तरह सोख लेती है, जिससे फसल उग पाती है ??pic.twitter.com/vqnZxmPqiN
— UNHindi (@UNinHindi) December 17, 2019
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इस तकनीक का उपयोग अभी बुर्किना फ़ासो (पश्चिम अफ्रीका का एक लैंडलाक देश) में किया जा रहा है। क्योंकि इस देश में बारिश अनिश्चित होती है। इसलिए फसल अच्छी नहीं होती और किसानो को काफी नुकसान होता है पर अब हाफ-मून फार्मिंग की सहायता से बुर्किना फ़ासो के किसान खेती कर रहे है और फसल की अच्छी पैदावार भी हो रही है। जिससे अब उनकी आय में वृद्धि हुई । आने वाले समय में ये तकनीक भारत में भी कारगर साबित हो सकती है। जिन जगह पर बारिश अनिश्चित होती है और जमीन सूखी हो जाती है,वहां पर (half moon farming) हाफ-मून फार्मिंग का उपयोग किया जा सकता है।