पड़ोसी देशों से तनाव के बीच भारत में ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। या परीक्षा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन उड़ीसा के बालासोर में किया गया। खास बात यह है कि इस मिसाइल का परीक्षण स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम के साथ किया गया है।
ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण होने के बाद डीआरडीओ के चेयरमैन ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी और जानकारी दी कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के इस उन्नत वर्जन में अभी स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम का उपयोग हुआ है आगे इसमें और स्वदेशी चीजों को लगाया जाएगा।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
भारत और रूस ने मिलकर इस मिसाइल को बनाया है। इसका नाम दोनों देशों की पवित्र नदियों के नाम पर रखा गया है। भारत की पवित्र नदी ब्रह्मपुत्र और फ्रांस की पवित्र नदी मस्कवा के नाम पर रखा गया है।
1.इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हवा में अपना मार्ग बदल सकती है।
2.यह मिसाइल जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के काम आ सकती है।
3.ब्रह्मोस, Missile detection system को धोखा देने में सक्षम है यानी यह रडार की पकड़ में नहीं आती
4. 400 किलोमीटर दूरी पर स्थित अपने लक्ष्य को भी ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल भेद सकती है।
5.इसका वजन 3000 किलो है, लंबाई 8.4 मीटर और व्यास 0.6 मीटर है।