उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग, लखनऊ का मुख्य कार्य प्रदेश में रह रहे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की ओर से प्राप्त शिकायतों की सुनवाई करना और उसका सम्यक विधि एवं विधिपूर्ण समाधान करता है।
आयोग के समक्ष अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के जो प्रकरण आते है वह मुख्यतः पुलिस एवं राजस्व विभाग से संबंधित होते है। इसके अतिरिक्त आयोग के समक्ष विभागीय एवं उत्पीड़न के मामलों में दी जाने वाली आर्थिक सहायता से संबंधित मामले भी आते हैं। आयोग कुछ मामलों में जैसे समाचार पत्रों. इलेक्ट्रानिक मीडिया में आयी खबरों का स्वतः संज्ञान भी लेता है। उसके पश्चात आयोग द्वारा ऐसे मामले को नियमानुसार निस्तारण करने का प्रयास किया जाता है।
तीन माह के कार्यकाल में कुल 1,817 प्रार्थना पत्र आयोग में प्राप्त हुए जिनमें से 1,226 मामलों में संबंधित विभागों को अपने स्तर से निस्तारण हेतु भेजे गये, 591 मामलों में संबंधित विभागों से आख्यायें मंगा कर आयोग द्वारा निस्तारण किया गया। डॉ रामबाबू हरित ने बताया कि आयोग में विचाराधीन मामलों की सुनवाई की गयी और अब तक 195 मामलों में सुनवाई की गयी जिनमें से 101 मामलों का निस्तारण किया गया।
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शेष 94 प्रकरणों में अग्रिम सुनवाई नियत की गयी है। यहां यह भी बताना चाहता हूँ कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता को सक्षम प्राधिकारियों द्वारा समय से प्रदान नहीं करायी जाती है ऐसी शिकायत भी आयोग को प्राप्त होती है उनका निस्तारण जल्द ही किया जाता है।