सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिस बाई पास ओवर ब्रिज का उदघाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया हो वह बाईपास ओवर ब्रिज चंद माह भी लोगो को राहत न दे सका हो तो सवाल उठना लाजमी है। दरअसल सरेनी विधानसभा क्षेत्र के लालगंज में करोङो की लागत से ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य 16 दिसंबर 2018 में पूर्ण हुआ और इस ओवर ब्रिज का उदघाटन खुद रायबरेली आकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। पर यह भ्रष्टाचार की इस कदर भेंट चढ़ा की बनने के बाद ही इसमे बड़े-बड़े गड्ढे हो गए। अब स्थानीय लोग निर्माण कार्यदाई संस्था के साथ-साथ क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह पर आरोपो की झड़ी लगाने से नही चूक रहे है।
करोङो की लागत से बने इस ओवर ब्रिज का उदघाटन 16 दिसंबर 2018 को देश के प्रधानमंत्री ने किया था और उदघाटन के बाद से ही इस मार्ग पर टोल भी वसूला जाने लगा। लोगो को लगा अब उन्हें सहूलियत मिलेगी, क्योंकि बाई पास ओवर ब्रिज मिलने से भाई-बहन कस्बे में प्रवेश नही करेंगे पर उन्हें क्या पता कि जिस ओवर ब्रिज का उदघाटन पीएम ने किया हो उस ब्रिज के निर्माण में भी भ्रस्टाचार का खेल खेला गया होगा।
क्षेत्रीय व स्थानीय लोग इस ओवर ब्रिज के चंद दिनों में बदहाल होने का जिम्मेदार कार्यदाई संस्था के साथ-साथ क्षेत्रीय बीजेपी विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह को मान रहे है। लोगो का आरोप है कि बीजेपी विधायक ने इस ओवर ब्रिज के निर्माण में जमकर कमीशन का खेल खेला जिससे यह चंद दिनों में भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। राहगीरों का आरोप है कि अगर बीजेपी विधायक इस भस्टाचार में लिप्त नही है तो फिर जिस उद्देश्य से टोल वसूला जा रहा है उसे रोकने का प्रयास क्यों नहीं करते। क्योंकि जब बाई पास ओवर ब्रिज बन्द पड़ा है तो टोल लेने का भी कोई मतलब नही। यही नही बीजेपी विधायक ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत क्यो नही दर्ज करवाई। ये सभी सवाल बीजेपी विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह को कठघरे में खड़ा करते है।
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वहीँ जब इस संबंध में बीजेपी विधायक से उन पर लग रहे आरोपो के बारे में जानकारी चाहने का प्रयास किया गया तो विधायक जीने फोन ही नही रिसीव किया। आखिर जिस तरह क्षेत्रीय लोग अपने ही विधायक पर ओवर ब्रिज के निर्माण में धांधली का आरोप लगा रहे है वह जरूर उन्हें कठघरे में खड़ा करता है।