नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा पर हो रहे सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित कर रहे हैं। इसमें उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले कई वर्षों की कड़ी मेहनत है। हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर काम किया है।
National Education Policy (NEP) 2020 is the result of ceaseless hard work of various stakeholders done over the last 4-5 years. Still, the work is not complete. It’s just the beginning. The road ahead is to ensure its effective implementation: Prime Minister Narendra Modi pic.twitter.com/dV6bXLiyK0
— ANI (@ANI) September 11, 2020
हमारे भारत में हर क्षेत्र की अपनी कुछ ना कुछ खूबी है, कोई ना कोई पारंपरिक कला, कारीगिरी, प्रोडक्ट हर जगह के मशहूर हैं। छात्रों को इन जगहों का दौरा कर उन्हें देखना चाहिए कि यह काम कैसे करते हैं और बनते कैसे हैं। इससे उनमें जिज्ञासा बढ़ेगी और जानकारी भी प्राप्त होगी।
21वीं सदी की स्किल्स के साथ बढ़े आगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली शिक्षा पर हो रहे सम्मेलन को संबोधित करते हुए आगे कहा कि हमें अपने छात्र को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। 21वीं सदी की स्किल्स यह होंगी – क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलैबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्यूनिकेशन। इन इस्किल्स के साथ छात्रों को आगे बढ़ाना होगा।
पीएम: भाषा ही सारी शिक्षा नहीं
नई शिक्षा नीति में छात्रों को अपनी पसंद की भाषा में परीक्षा देने की छूट दी गई है। इसी पर प्रधानमंत्री ने कहा ‘हमें एक वैज्ञानिक बात समझने की जरूरत है कि भाषा शिक्षा का माध्यम है, भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। जिस भी भाषा में बच्चा आसानी से सीख सके वही भाषा पढ़ाई की भाषा होनी चाहिए।’