2020: जानें करवा चौथ शुभ मुहूर्त व पूजा-व्रत विधि और सम्पूर्ण कथा

karwa chauth 2020 date
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करवा चौथ सुहागन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व होता है। मान्यता है कि जोभी महिलाएं ये व्रत रखती है उनके पति की आयु लम्बी होती है। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को ये व्रत महिलाएं रखती है और यह इस बार 4 नवम्बर 2020 को है।

• 4 नवंबर 2020 को चतुर्थी तिथि प्रारंभ सुबह 4 बजकर 24 मिनट से
• चतुर्थी तिथि समाप्त 5 नवंबर 2020 सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर
• करवा चौथ का पूजा मुहूर्त – शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक है
• चंद्रोदय समय – रात 8 बजकर 16 मिनट पर

करवा चौथ व्रत विधि 

1. इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके लिए निचे दिया गया मन्त्र पढ़े ‘‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’

2. मंदिर की या किसी स्वच्छ दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इस पूरी प्रक्रिया को करवा रखना कहा जाता है।

3. लकड़ी के आसन पर लाल या पीला कपड़ा बिछा कर माँ पार्वती और शंकर भगवन की ऐसी तस्वीर रखें जिसमें श्री गणेश माँ पार्वती की गोद में बैठे हुए हों।

4. कलश पर स्वस्तिक बनायें और एक हल्दी की गांठ,एक सुपारी,दूर्वा,अक्षत,सिक्का, दो लौंग और दो इलायची लेकर कलश में दाल दें। इसके बाद इसपर नवपल्लव (आम के 9 पत्ते) रख दें। फिर श्री फल पर लाल कपड़ा लपेटकर कलश पर रख दें। इसके नेत्र आपकी तरफ होने चाहिए।

5. घी का दीपक बना कर अष्टदल कमल पर रखें। ध्यान रखे आपका मुँह पूर्व दिशा में होना चाहिए और दीपक का मुँह आपकी तरफ।

6. अब करवा में गेहूं या चावल भरिये और उसके ऊपर खिलौने वाली मिठाई,लैईया,चुरा,गट्टा,खील, 13 बिंदी रखे।

7. फिर भोग लगाने के लिए मिठाई या फल रखें। इसके बाद गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर कथा कहें या सुनें।

16 श्रृंगार

1. सिंदूर
2. बिंदी
3. काजल
4. नथ
5. मेहंदी
6. लाल जोड़ा
7. गजरा
8. मांग टीका
9. कर्णफूल या कान की बालियां
10. हार या मंगलसूत्र
11. आलता
12. चूड़ियां
13. अंगूठी
14. कमरबंद
15. बिछिया
16. पायल

करवा चौथ व्रत कथा

एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का नाम था करवा। एक बार किसी कारणवश वह अपने मायके में भाइयों के पास आई हुई थी। इसलिये उसे मायके में ही व्रत रखना पड़ा। रात में सभी भाई खाना खा रहे थे। उन्होंने बहन से भी भोजन करने को कहा। लेकिन करवा ने बताया कि अभी चांद नहीं निकला है। चांद देखने और पूजा करने के बाद ही वह खाना खाएगी।

बहन की भूखी-प्यासी हालत भाइयों से देखी नहीं जा रही थी। उन्होंने बहन का व्रत तुड़वाने के लिए एक तरकीब सोची। करवा का सबसे छोटा भाई दूर एक पीपल के पेड़ में दीपक लेकर चढ़ गया। बाकी भाइयों ने करवा से बोल दिया कि चांद निकल आया है। भाइयों की चालाकी को करवा समझ नहीं पाई और भोजन कर लिया। इसके बाद तुरंत उसको अपने पति की मौत की ख़बर मिली।

करवा की भाभी ने उसे बताया कि तुमने व्रत को विधि विधान से नहीं किया, इसलिये देवता नाराज हो गए। बताते हैं कि पति के शव के साथ करवा पूरे एक साल तक बैठी रही और उस पर उगने वाली घास को जमा करती रही। एक साल बाद जब फिर करवा चौथ का दिन आया तो उसकी सभी भाभियों ने व्रत रखा। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आईं तो वह उनसे आग्रह करने लगी, ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’।

लेकिन हर बार भाभी उसे दूसरी से आग्रह करने का बोलकर चली जाती। इस तरह जब छठे नंबर की उसकी भाभी आई तो करवा ने उससे भी यही बात दोहराई। उस भाभी ने बताया कि सबसे छोटे भाई की वजह से करवा का व्रत टूटा था। उसकी पत्नी में ही ऐसी शक्ति है, जिससे करवा का पति दोबारा जीवित हो सकता है। छठी भाभी ने कहा, ‘जब सातवें भाई की पत्नी आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को ज़िंदा न कर दे, उसे छोड़ना नहीं।’

सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उससे भी अपना आग्रह दोहराती है, लेकिन वह टालमटोल करने लगती है। इस पर करवा उसे जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को ज़िंदा करने के लिए कहती है। भाभी ने भरसक कोशिश की, लेकिन ख़ुद को करवा से छुड़ा नहीं पाई।

आख़िर में करवा का हठ देख वह पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस तरह प्रभु कृपा से छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिला।

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