कल 9 नवम्बर को अयोध्या फैसला आने के बाद पीएम मोदी ने देश को सम्बोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने इस सम्बोधन में बर्लिन की दिवार व करतारपुर कॉरिडोर का जिक्र किया। पीएम ने कहा की आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही 9 नवम्बर की ये तारीख हमे साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख दे रही है। आज के दिन का सन्देश जोड़ने और जुड़ने का है और मिलकर जीने का है। पीएम ने आगे कहा की नए भारत में नकारात्मकता और कटुता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले ने देश को ये सन्देश दिया है की कठिन से कठिन मसले का हल संविधान और कानून के दायरे में ही आता है। पीएम ने बर्लिन की दिवार का जिक्र करते हुए कहा की 9 नवम्बर ही वो तारीख थी, जब बर्लिन की दिवार गिरी थी और दो विपरीत धाराओं ने एक जुट होकर नया संकल्प लिया था। पीएम ने बर्किन की दिवार का जिक्र क्यों किया आईये जानते है।
PM Modi: Today is 9th November, the day when Berlin wall was brought down. Today the #KartarpurCorridor was also inaugurated. Now the Ayodhya verdict, so this date gives us the message to stay united and move forward https://t.co/ugFLOzroE4 pic.twitter.com/fK0Cwc2KG2
— ANI (@ANI) November 9, 2019
बर्लिन की दिवार
जर्मनी द्वितीय विश्वयुद्ध में हार गया था व इस युद्ध को अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम व फ़्रांस ने जीता। जिसके बाद सोवियत संघ ने जर्मनी को बाँटने का फैसला किया। इसको पूर्वी जर्मनी और पश्चिम जर्मनी में बांटा गया। जर्मनी की राजधानी बर्लिन को भी दो भागो में बता गया। पूंजीवादी देशो ने बर्लिन का पश्चिम भाग लिया व कम्युनिस्ट ने बर्लिन का पूर्वी हिस्सा लिया। जर्मनी के पश्चिम भाग में फेडरल रिपब्लिक ऑफ़ जर्मनी और पूर्व में जर्मन डेमोक्रेटेड रिपब्लिक का उदय हुआ। क्योंकि पश्चिमी जर्मनी पूंजीवाद देशो के नियंतरण में था। इसलिए सैकड़ो व्यापारी और कारीगर पूर्वी बर्लिन को छोड़कर पश्चिम बर्लिन में जाने लगे। 1949 से 1962 तक 25 लाख लोग पश्चिम बर्लिन में जाकर रहने लगे। जिसकी वजह से पूर्वी बर्लिन को राजनितिक और आर्थिक हानि हुई। इस हानि को रोकने के लिए पूर्वी बर्लिन के कम्युनिस्ट अधिकारीयों ने दिवार बनाने का फैसला लिए।
सुरंग बनाकर सीमा पार की
इस फैसले के बाद पूर्वी बर्लिन और पश्चिमी बर्लिन के बीच में एक दिवार खड़ी कर दी गयी। इस दिवार की लम्बाई 155 किलोमीटर व ऊंचाई 3.5 मीटर थी। इस दिवार के खड़े होने के बाद लोगो का प्रवास कम हो गया पर रुका नहीं, लोगो ने सुरंग बना कर,बड़े गुब्बारे से व दिवार के ऊपर से गुजरने वाली तारों से जाने के नए-नए रास्ते निकाले। कई लोगों को दिवार पार करते हुए गोली मार दी गयी। पश्चिम के लोगो के लिए यह अत्याचार बन गया। 1980 में सोवियत के शासन का पतन हो गया। जिसके बाद बर्लिन की दिवार के नियमो को कम किया गया और पूर्वी जर्मनी में प्रदर्श हुए। जिसके कारण सरकार का पतन हो गया।
जब दिवार के पत्थर लोग घर ले गए
9 नवम्बर 1989 को घोषणा की गयी की बर्लिन की दिवार से आवागमन लोग कर सकते है। ये घोषणा होने के बाद पूर्वी व पश्चिम दोनों तरफ के लोग बहुत खुश हुए और बड़ी संख्या में एक दूसरे से मिलने बर्लिन की दिवार पार करके जाने लगे। इसके बाद लोगो ने दिवार को तोडना शुरू किया और दिवार के पत्थर यादगार के रूप में अपने घर ले गए। इस दिवार के गिरने से जर्मनी में राष्ट्रवाद का उदय हुआ। सभी ने जर्मनी के एकीकरण की अपील की और 9 नवम्बर 1990 को जर्मनी का एकीकरण हो गया। ये 20 वीं शताब्दी की सबसे बड़ी घटना थी। जिसे बर्लिन की दिवार के नाम से आज जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कल शनिवार 9 नवम्बर को दशकों पुराने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया और कल ही करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन भी हुआ। इस लिए ये दिन इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया है।