29 जुलाई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा नई शिक्षा नीति को पेश किया गया तो देश की राजनीती में उथल पुथल मच गया। लोग इसके पक्ष और विपक्ष में अलग अलग तरह की तर्क रखते नजर आ रहे थे। इनमें से एक बड़े पक्ष का ये कहना था की इनमें बदलाव तो लुभावने किये गए हैं लेकिन इन्हें धरातल पर उतारना आसान नहीं है और असल मायनों में मौजूदा शिक्षा व्यवस्थाओं को देखते हुए यही कहा जा सकता है की इन्हें पूरी तरह से जमीनी स्तर पर लागू करना किसी भी सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं है।
केंद्र सरकार के इस नीति को बल देते हुए हिमाचल प्रदेश की मौजूदा सरकार ने मंगलवार देर शाम अधिसूचना जारी कर ये जानकारी दी की राज्यपाल की मंजूरी के बाद नई शिक्षा नीति 2020 को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। प्रदेश में इस सुचारू रूप से लागू करने के लिए 43 सदस्यों की एक स्पेशल टास्क फ़ोर्स का भी गठन किया गया है।
स्पेशल टास्क फ़ोर्स की कमान शिक्षा मंत्री के हाथो में
प्रदेश में सही ढंग से शिक्षा नीति को लागू करने के लिए बनाये गए टास्क फ़ोर्स का अध्यक्ष भी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को ही बनाया गया है और समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। टास्क फ़ोर्स का मेंबर उन्हीं को बनाया गया है जो इनके प्रमुख जानकार हैं जैसे की विभिन्न विभागों के सचिव, विश्वविद्यालयों के कुलपति और स्कूल-कॉलेजों के शिक्षक आदि।
शिक्षा सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि टास्क फोर्स ने शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, वित्त, युवा और खेल सेवाएं और सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रधान सचिव या सचिव, स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और हायर एजूकेशन काउंसिल के अध्यक्ष, एचपीयू के अलावा क्लस्टर विवि मंडी, तकनीकी विवि हमीरपुर के कुलपति, उच्च शिक्षा निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, एससीईआरटी सोलन और डाइट शिमला के प्रिंसिपल भी सदस्य होंगे। मनोनीत सदस्यों में केंद्रीय विवि धर्मशाला के कुलपति सहित कई शिक्षकों और शिक्षाविदों को शामिल किया है।