उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री तथा बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (BSP Supremo Mayawati) को बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती के अवसर पर करारा झटका लगा है। पूर्व सांसद स्वर्गीय कांशीराम के बहुत ख़ास माने जाने वाले बलिहारी बाबू ने समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का दामन थाम लिया है और उनके साथ बसपा के 3 नेता अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा में शामिल हो गए हैं।
सपा के प्रदेश मुख्यालय पर अखिलेश यादव ने बलिहारी बाबू समेत 4 बसपा नेताओं को सपा की प्राथमिक सदस्यता दिलाई। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा कि राज्य में उनकी सरकार बनने के बाद वह जातिगत आधार पर जनगणना करवाएंगे। अखिलेश यादव ने सभी नेताओं का स्वागत किया और इन लोगों के सपा में शामिल होने पर पार्टी के मज़बूत होने का भरोसा जताया।
राज्यसभा सांसद सदस्य बलिहारी बाबू के अलावा पूर्व विधान परिषद सदस्य तिलक चंद्र अहिरवार, फेरन अहिरवार तथा अनिल अहिरवार ने सपा की सदस्यता ग्रहण किया है। बसपा के कोर्डिनेटर रह चुके तिलक चंद्र अहिरवार ने इस मौके पर कहा कि उन्होंने अपमान तथा बसपा की गलत नीतियों की वजह से पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।
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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दावा किया कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सपा को 351 सीटें प्राप्त होंगी और प्रदेश में हर जगह केवल साईकिल की लहार चलेगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और योगी सरकार के कार्य से आम जनता बहुत परेशान हो चुकी है। महंगाई लगातार बढ़ रही है और सड़कों पर बेरोगारों की लाइन लगी हुई है। राज्य में गरीब, मज़दूर और किसान सभी लोग बेहाल हैं वहीँ पूंजीपति बैंकों को लूट कर भाग गए हैं।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में हर तरफ बदहाली है, हर कोई परेशान है और सरकार राज्य में दंगा कराने की फिराक में है। महिलाओं पर लगातार अत्याचार बढ़ रहा है, कानून का मज़ाक बन गया है लेकिन दबंग अपने हिसाब से सरकार को चलवा रहे हैं। बलिहारी बाबू से पहले पूर्वांचल से बसपा के बाहुबली नेता रमाकांत यादव ने भी अपने कई समर्थकों के साथ सपा की सदस्यता ग्रहण किया था जिसमे फूलनदेवी की बहन रुक्मणी निषाद भी शामिल हैं।