बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम का आज 15 मार्च को जन्मदिवस (Kanshi Ram jayanti) है और इस मौके पर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद ने अपनी ‘आज़ाद समाज पार्टी’ का शुभारंभ किया है। उन्होंने काफी सोच समझ कर इस दिन का चुनाव किया है। इससे वह दलित समाज के लोगों को प्रसन्न व मायावती को नुक्सान पहुंचा सकते हैं।
Noida: Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad launches his 'Azad Samaj Party' on the birth anniversary of Bahujan Samaj Party (BSP) founder Kanshi Ram, today. pic.twitter.com/PvgdGA5kQw
— ANI UP (@ANINewsUP) March 15, 2020
दलित नेता कांशीराम ने स्वतंत्र भारत में बहुजन राजनीति के ज़रिये से आंबेडकर के विचारों को बुलंदियों तक पहुँचाया है। राजनीति में उनका प्रवेश करना एक पहेली की तरह है। अम्बेडकरवादी राजनीति के समालोचक समाजविज्ञानी आनंद तेलतुम्बड़े ने ‘इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली’ में कांशीराम को उनके परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि देते हुए उनको ‘एन एनिग्मा कॉल्ड कांशीराम’ (कांशीराम : एक अबूझ पहेली) कहा था।
आनंद तेलतुम्बड़े ने कांशीराम को एनिग्मा इसलिए कहा कि कांशीराम ने चंद सालों में ही दलितों तथा वंचितों के लिए न सिर्फ एक राष्ट्रीय पार्टी तैयार किया बल्कि भारत के सबसे बड़े प्रदेश (उत्तर प्रदेश) में अपनी पार्टी की सरकार भी बना लिया था। कांशीराम ने हज़ारों साल से परेशान किये गए दलितों को अपने बहुजन आंदोलन से जोड़ लिया। कांशीराम का यह कार्य राजनीति के अध्येताओं के लिए एक पहेली बन गया है।
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कांशीराम का जन्म 15 मार्च सन 1934 को हुआ था और उनकी मृत्यु 9 अक्टूबर 2006 को हो गई थी। उन्होंने बहुजनों के राजनितिक एकीकरण और उत्थान के लिए भारतीय वर्ण व्यवस्था में बहुत से कार्य किया था। कांशीराम ने दलित शोषित संघर्ष समिति (DSSS), वर्ष 1971 में अखिल भारतीय पिछड़ा तथा अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी संघ और 1984 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना किया था।
कांशीराम को एक भारतीय वैज्ञानिक के तौर पर भी जाना जाता है। कांशीराम ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के भाषण सुनने के बाद उनसे प्रेरणा लिया और अपने समाज की तरफ अग्रसर हो गए। इसके पश्चात उन्होंने बसपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी की स्थापना किया।