जम्मू कश्मीर और आतंकवाद शायद एक दूसरे के पर्याय बन चुके है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद घाटी में आतंकवाद की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताज़ा मामला है जम्मू-कश्मीर के नगरोटा का।
जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में सुरक्षाबलों और चरमपंथियों के बीच हुई मुठभेड़ में चार चरमपंथी मारे गए हैं. इस घटना में दो सुरक्षाकर्मियों के घायल होने की भी ख़बर है.
ये एनकाउंटर तक़रीबन तीन घंटे तक चला. इस दौरान चरमपंथियों की तरफ से जवानों ऊपर ग्रेनेड फेंके गये। दोनों तरफ़ से लगातार फ़ायरिंग की जाती रही. इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ़ और भारतीय फ़ौज ने भी जम्मू-पुलिस का सहयोग किया. सुरक्षाकर्मियों ने बताया दो पुलिसकर्मी जख़्मी हुए जो अब ख़तरे से बाहर हैं।
जम्मू जाने के आई जी, मुकेश सिंह ने बताया, “इस एनकाउंटर में मारे गये चारों आतंकवादियों की शिनाख़्त अभी नहीं हो पायी है। मारे गये आतंकियों के पास से भारी असलहा-बारूद बरामद हुआ है। इनमें 11 एके-47 राइफ़लें , 3 पिस्टल, 30 से ज़्यादा ग्रेनेड और कुछ यंत्र भी मिले हैं। हर आतंकी के पास तीन बड़े हथियार और कुछ छोटे हथियार थे. हाल के दिनों में इतनी भारी मात्रा में असलहा के साथ आतंकी नहीं मारे गये। लगता है कि जो आतंकी मारे गये हैं, वो किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने की फ़िराक में थे”।
सुरक्षाबलों ने आशंका जताई है कि मारे गए चरमपंथी जैशे मोहम्मद से जुड़े हुए थे।
बीते वर्ष 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटा दिया। एवं राज्य को केंद्र शासित प्रदेश के में रूप में तब्दील कर दिया। इस फैसले के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे आतंकवाद की घटनाओं में कमी आएगी तथा कश्मीर की जनता को केंद्र सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।
इस हिसाब से तो कश्मीर में आतंकवाद की घटनाों में अपेक्षाकृत कमी आनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। हुआ इसके ठीक उलट। दरअसल जब से कश्मीर से धरा 370 हटाई गयी है सभी स्थानीय नेताओं को नज़रबंद कर दिया गया तथा राज्य से इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से हटा ली गयीं। उसके बाद से कश्मीर में जगह जगह विरोध प्रदर्शन होने शुरू हो गए। 2019 में कुल 283 लोगों की जान गई ये आंकड़े पूरे दशक में सबसे ज़्यादा थे। यदि बात करें 2020 की तो अब तक 229 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें से 32 आम नागरिक भी शामिल हैं।