राजनीति में कोई भी नेता हर समय एक ही परिस्थिति में नही रह सकता परिस्थितियां हमेशा बदलती रहती हैं और जब नेता से जुडी पार्टी सत्ता में नही रहती है तब उसकी परिस्थितियां पहले से कही ज्यादा बदल जाती हैं,पहले की यादे उन्हें सताती है आप बीती आजम खां का कुछ ऐसा ही मामला यूपी के रामपुर में देखने को मिला | चुनावी रैली के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान काफी भावुक नजर आए। कई मामलों में एसआईटी जांच झेल रहे आजम खां ने बहुत ही भावुकता से लोगों से पूछा मुझे इतना बता दो कि आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों किया जा रहा है मेरी गलती क्या है सिर्फ इतनी की तुम्हारे बच्चों के हाथों में कलम दी।
उन्होंने आगे कहा, मेरी आवाज को कमजोर मत होने दो मुझे थकने मत दो। रामपुर के किला मैदान में चुनावी रैली में आजम खान ने कहा, ‘मेरे माथे पर लिखी बदनसीबी को पढ़ने की कोशिश करो। पूरे हिंदुस्तान के लोगों से, बुद्धिजीवियों से, इंसाफ देने वालों से जानना चाहता हूं कि मेरी खता क्या है? मुझे इंसाफ दो।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा गुनाह क्या है? इंसानियत और इंसान के लिए लड़ने वाला एक बेसहारा शख्स जो आज से 45 साल पहले तुम्हारे आंसू पोंछने आया था, जिसने तुम्हारे सूखे हुए जिस्मों में सांसे भरनी चाही थीं, जिसने गुलामी की जंजीरें तोड़नी चाही थीं, उसकी सारी खुशियां क्यों छीनी जा रही हैं।
आजम खान के खिलाफ 12 साल पहले लिखा गया पत्र
खुली किताब किताब हूँ मैँ- आज़म
आजम ने खुद को खुली किताब बताया। आजम खान ने भावुक अंदाज में कहा, ‘एक ऐसी किताब जिसका एक भी शब्द और अक्षर मिटा नहीं है। इस किताब को झूंठा साबित करने वालों अपने जमीर से पूछो कि कहां खड़े हो। उन्होंने सत्ता में सरकार की तरफ इशारा करते हुए कहा तुम सरकार को चलाने वालों, शासन और प्रशासन कहने वालों एक बार खुद की तरफ देखो।’ उन्होंने आगे कहा कि मैं रहा या न रहा लेकिन इस मजमे की तस्वीर रहेगी।
क्या बच्चों के हाथ में कलम देना गुनाह था-आजम खां
आजम ने कहा, ‘चंद कदम के फासले पर यह एक इमारत है जो 40 बरस से सवालिया निशान बनी हुए थी। मैंने तुम्हारे बच्चों को इस दरवाजे के अंदर दाखिल कर दिया यह मेरा गुनाह था। उनके हाथ में कलम दे दी, यह मेरा गुनाह था।’ उन्होंने कहा कि मुझसे ज्यादती इंतकाम लेने वालों याद रखना मरने के बाद कब्र में कोई हिसाब नहीं होगा। जो करोगे उसका हिसाब इस जमीन पर ही होगा |