डॉ कफील को गोरखपुर बीआरडी ऑक्सीजन ट्रेजेडी मामले में विभाग से मिली क्लीनचिट

  • पांच माह बाद मिले डाक ने लौटाई डॉ कफील के घर खुशियां।
  • प्रमुख सचिव द्वारा विभागीय जांच में मिली क्लीनचिट।
  • IMA के साथ दिल्ली में करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस।
  • गोरखपुर बीआरडी ऑक्सीजन ट्रेजेडी मामले में निलंबित चल रहे थे डॉ कफील खान।
  • ऑक्सीजन की कमी के चलते 60 बच्चों की हो गयी थी मौत।

यहां मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से हुई 60 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में निलंबित चल रहे डॉक्टर कफील खान को बड़ी राहत मिली है। खनिज और भूतत्व विभाग के प्रमुख सचिव की अगुवाई में हुई जांच के बाद डॉक्टर कफील को आरोप मुक्त कर दिया गया। जांच की रिपोर्ट गुरुवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उन्हें सौंप दी है।

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में डॉक्टर कफील खान को सस्पेंड कर दिया गया था। उन पर सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने, भ्रष्टाचार और हादसे के दिन अपना कर्तव्य नहीं निभाने के आरोप लगे थे। कफील ने इन आरोपों के लिए 9 महीने जेल में भी बिताए थे। उन्होंने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। वर्तमान में जमानत पर चल रहे थे, लेकिन निलंबन बहाल नहीं किया गया था। इस मामले में अन्य आठ लोग भी आरोपी बनाए गए थे।

यूपी सरकार का दावा, डॉ कफ़ील खान को नहीं मिली है क्लीन चीट

पांच महीने पहले सौंप दी थी रिपोर्ट:

इस मामले की जांच प्रमुख सचिव टिकट और पंजीकरण विभाग हिमांशु कुमार को यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 18 अप्रैल को 15 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कफील लापरवाही के दोषी नहीं थे और उन्होंने 10-11 अगस्त, 2017 की रात को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रयास किए थे। रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि डॉक्टर कफील ने अपने सीनियर्स को ऑक्सीजन की कमी से अवगत कराया था और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सात ऑक्सीजन सिलेंडर भी दिए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कफील अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस में शामिल थे, लेकिन उसके बाद नहीं। कफील ने पांच महीने तक उन्हें अंधेरे में रखने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

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