सिद्धार्थनगर :। जनपद में विभागीय सह पर तराई क्षेत्र से मुम्बई तक जुगाड़ के जोड़ से निजी बस संचालक लोगों की जान से खेल रहे हैं। विभागीय सह पर जिले में अर्से से यह धंधा जारी है। टूरिस्ट परमिट की आड़ में जिले की प्राइवेट बसें प्रति माह लाखों रूपये के राजस्व को क्षति पहुंचा रही हैं, जिस पर नजर होते हुए भी जिम्मेदार आंखे बन्द कर बैठे हैं।
जिले के इटवा, बांसी डुमरियागंज, झकहिया, बढ़नी, शोहरतगढ़, मोहना, बर्डपुर, चिल्हिया आदि जगहों से एक दर्जन से अधिक प्राइवेट बसें सप्ताह में अपनी क्षमता से अधिक यात्रियों को भरकर मुम्बई पहुंचा रही हैं। ऐसा नहीं है कि इससे पुलिस व परिवहन विभाग अंजान है। नियमों से खिलवाड़ कर रहे प्राइवेटों बसों पर अंकुश लगाने के बजाए इसे संरक्षण दे रहे हैं, जिसके कारण बहुत दिनों से जिले में यह खेल धड़ल्ले से चल रहा है।
चर्चा है कि प्राइवेटों बसों के जरिए क्षेत्र के कुछ संदिग्ध लोग चावल व अन्य सामानों से भरे गठ्ठर को भी ढ़ोकर आसानी से दूसरे राज्यों को पहुंचा रहे हैं। जिसकी कोई जांच पड़ताल भी नहीं हो रही है। बॉर्डर का जिला होने नाते तस्करी के सामानों की खेप महानगरों तक पहुंचाने के बात को भी नकारा नहीं जा सकता है। घण्टों का सफर मिनटों में तय करने की होड़ वाले युग में बसों से मुम्बई तक का हफ्ते भर का सफर लोग आखिर किस लालसा में कर रहे हैं। यह भी एक बड़ा सवाल है।
लेकिन प्रशासन इससे पूरी तरह अंजान बना हुआ है। जिससे प्राइवेट वाहन स्वामी बेखौफ होकर महनगरों तक बसों को दौड़ा रहे हैं।सूत्रों की मानें, तो प्राइवेट बसों के वाहन स्वामियों के यह पूरा सेटिंग पर चलता है। इटवा से मुम्बई तक के बीच में पड़ने वाले हर स्टेट में हफ्ता देना पड़ता है। वाहन स्वामी भी इससे परहेज नहीं करते हैं, क्योंकि एक बस की आड़ में वह कई बसें दौड़ाते हैं।वहिं जब इस मामले में सम्भागीय परिवहन अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायतें आती हैं तो उस पर जांच कर कार्यवाही की जाती है।