कमलेश तिवारी हत्याकांड को लेकर डीजीपी ने की प्रेस कांफ्रेंस

  • कमलेश ने 2015 में दिया था भड़काऊ भाषण, जिसके बाद से हत्या की साजिश हो रही थी तैयार
  • 3 लोगो को हिरासत में ले लिया गया, 2 संदिग्धों को हिरासत में लेकर छोड़ा गया
  • गुजरात में हुए 2017 के आतंकी मामले का इस घटना से नहीं है कोई कनेक्शन

राजधानी लखनऊ के पुलिस मुख्यालय में डीजीपी ओपी सिंह ने हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी हत्याकांड को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस किया। कल 18 अक्टूबर को नाका इलाके में हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई थी। प्रेस कांफ़्रेंक्स में उन्होंने कहा कि गुजरात और उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस हत्याकांड पर काम किया है जिसमे अब तक 3 लोगो को हिरासत में ले लिया गया है। इन तीन लोगों में एक सूरत में साड़ी की दुकान पर काम करता है जिसका नाम मौलाना मोहसिन शेख है, दूसरा फैजान है और तीसरा राशिद अहमद है। रशीद अहमद कम्प्यूटर का ज्ञानी है।

डीजीपी ने आगे कहा कि 2 अन्य संदिग्धों को भी हिरासत में लिया गया था जिनको अभी छोड़ा गया है। शुरूआती जांच में हिरासत में लिए गए तीनों अपराधी हत्या के षड्यंत्र में शामिल पाए गए हैं। इसके अलावा दो अन्य आरोपी हत्या में शामिल रहे हैं जिनकी तलाश की जा रही है। डीजीपी ने आगे बताया कि जिन तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनके किसी भी क्रिमिनल रिकार्डका पता नही चल पाया है। इन तीनो को गुजरात और सूरत से रिमांड पर लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अनवारुल हक़ मुफ़्ती लाइक काज़मी को हिरासत में लिया गया है। उनका नाम भी FIR में लिखा है और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। मोहसिन ने रशीद पठान (टेलर) को हत्या की साज़िश रचने के लिए अग्रेषित किया था।

कमलेश तिवारी हत्या कांड संदिग्धों को पुलिस ने हिरासत में लिया

प्रेस कांफ्रेंस में डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि कमलेश तिवारी के विवादित विडियो के बाद मौलाना ने कहा था कि कमलेश तिवारी की हत्या जरुरी है। इस हत्या में 5 लोग शामिल हैं जिसमे फैजान मिठाई की दुकान में मिठाई खरीदते वक्त शामिल रहा है। रशीद के भाई और एक अन्य ने कमलेश तिवारी को फोन कर इनके संगठन से जुड़कर सूरत के लिए काम करने की इच्छा ज़ाहिर की थी जिनमे रशीद के भाई को छोड़ा गया है। इस ऑपरेशन में गुजरात ATS का बड़ा सहयोग रहा है। इसमें किसी आतंकवादी संगठन से जुड़ा मामला अभी सामने नही आया है। कमलेश तिवारी ने 2015 में भड़काऊ भाषण दिया था जिसके बाद से उनकी हत्या की साजिश तैयार हो रची जा रही थी।

डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि बिजनौर कनेक्शन की भी जांच हो रही है और जिन दो लोगों को रिहा किया उनपर भी नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी में जी महिला दिख रही है उसकी अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। हत्यारे गुजरात के हैं और उत्तर प्रदेश से उनका कनेक्शन है। बॉर्डर पर भी पेट्रोलिंग की जा रही है जिसपर हम निगाह रख रहे हैं। गुजरात में हुए 2017 के आतंकी मामले का इस घटना से कोई कनेक्शन नहीं है।

डीजीपी ने बताया कि हमे महत्वपूर्ण सुराग मिले थे और उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस घटना का खुलासा किया था। हमने सूचनाएं और सुराग के आधार पर पुलिस की कई टीमें बनाई थी और हमे शुरू से शक था कि इसके तार गुजरात से जुड़े हैं इसलिए हमारी टीम गुजरात भी गई। हमने मिठाई के डिब्बे के आधार पर गुजरात से संपर्क किया। लखनऊ पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच किया और लखनऊ तथा गुजरात पुलिस का समन्वय रहा।साथ ही उन्होंने कहा कि घटना से जुड़े हुए मामले के सभी बिंदुओं पर अभी पूरी जानकारी नहीं दी जा सकती है।

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