यह व्रत कार्तिक माह की चतुर्थी को मनाया जाता है इसलिए इसे करवा चौथ कहते है । कहा जाता है की एक ब्राह्मण के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी ने पहली बार मायके में व्रत रखा। निर्जला व्रत होने के कारण भूख के मारे परेशान हो रही थी तो उसके भाइयों से रहा न गया। उन्होंने गाँव के बाहर वट के वृक्ष पर लालटेन जला दी और अपने बहन से चन्दा मामा को अघर्य देने के लिए कहा।
बेटी जैसे ही अघर्य देकर भोजन करने के लिए बैठी तो पहले कौर में बाल निकला और दूसरे कौर में छींक आई और तीसरे कौर में ससुराल से बुलावा आ गया। बेटी जैसे ही ससुराल पहुँची वहाँ उसकी पति की मृत्यु हो चुकी थी। पति को देखकर बेटी विलाप करने लगी। तभी इंद्राणी आई और बेटी को बारह माह का चौथ और करवा चौथ का व्रत करने को कहा।
बेटी ने पूर्ण श्रद्धाभक्ति से बारह माह का चौथ व करवा चौथ का व्रत रखा, जिसके प्रताप से उसके पति को पुनः जीवन मिल गया और तभी से महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत करती चली आ रही है ।
बड़े ही धूम धाम से मनाया गया बॉलीवुड में करवा चौथ
जाने करवा चौथ का व्रत रहने की विधि
- व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें
- पूरे दिन निर्जला रहें
- दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है
- पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं
- गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें
- जल से भरा हुआ लोटा रखें
- वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें
- रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं
- गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें
- करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें
- सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें
- तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें
- रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें
- इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें