Hariyali Amavasya kab hai 2025: जैसा कि भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं को काफी महत्व दिया जाता है , भारतीय नागरिक प्रत्येक त्यौहार को काफी महत्व देते हैं और उन्हें भलीभाँति मनाते हैं। वैसा ही हरियाली अमावस्या एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है जो कि सावन माह में मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण, धार्मिक आस्था और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है, इस त्यौहार में विशेष रूप से वृक्षारोपण और शिव-पार्वती कि पूजा का विधान है। आपको इस लेख के जरिये हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है, हरियाली अमावस्या 2025 में कब है , इसकी पूजा विधि क्या है और इसका महत्व आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगें।
हरियाली अमावस्या 2025 में कब है? | Haryali Amavasya 2025 Date
हिन्दू पंचांग के अनुसार हरियाली अमावस्या 2025 सावन माह कि अमावस्या तिथि पर 24 जुलाई, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस अमावस्या पर्व मनाने का समय सुबह 02:28 AM से प्रारम्भ होकर 25 जुलाई के रात 12:40 तक मनाना शुभ बताया गया है और इसी उदया-तिथि में पर्व मनाया जाता है।
हरियाली अमावस्या क्यों मनाते हैं?
हरियाली अमावस्या सावन माह कि अमावस्या को मनाई जाती है जब वर्षा ऋतू अपने चरम पर होती है और चारों तरफ धरती हरियाली से भरी होती है। इस अमावस्या को मनाने का मुख्या उद्देश्य प्रकृति और पर्यावरण के प्रति श्रद्धा और संरक्षण कि भावना को जाग्रत करना है। इसी कारण इसे “हरियाली अमावस्या” कहते हैं।

इस दिन खासकर वृक्षारोपण किया जाता है और शिव पितरों कि पूजन -तर्पण, लोग नदी , जलाशय आदि में स्नान करते है और काफी लोग दान आदि भी करते हैं और कुछ लोग दान-दान्य सूचनापूर्ण उपाय जैसे कि नवग्रह कि शांति के लिए पूजा, चीटियों को आता खिलाना आदि किये जाते हैं। सावन माह का यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का काफी महत्वपूर्ण सन्देश देता है और सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग , अमृत सिद्धि योग जैसे शुभ योग भी विद्यमान होते हैं , जिससे पूजा-उपचार और भी फलदायी माने जाते हैं।
हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या मनाने के धार्मिक कारण हैं जिनके लिए इस अमावस्या को भलीभांति मनाते हैं :
- शिव-पार्वती कि कृपा प्राप्ति : कहते हैं कि इस दिन भगवन शिव और माता पार्वती कि पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख शांति बनी रहती हैं।
- पितृ तर्पण और श्राद्ध : कहते हैं हरियाली अमावस्या पितरों को याद करने और उनके लिए तर्पण का एक विशेष दिन है।
- वृक्षारोपण : इस दिन पौधे लगाने कि सलाह दी जाती है ताकि हमारा पर्यावरण हरा भरा बना रहे।
- दान-पुण्य का फल : कहते हैं इस दिन दान करने से पुण्य कि प्राप्ति होती है, आप जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र और अनाज दान कर सकते हैं।
हरियाली अमावस्या का पर्यावरणीय महत्व
यह पर्व पर्यावरण के लिए बहुत ही खास माना गया है। इसका सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। क्यों कि यह सावन का महीना होता है और इस दिन पौधे आसानी बढ़ जाते हैं , इसलिए इस पर्व को पर्यावरण से जोड़ दिया गया है। इस परंपरा का मुख्या उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और वनों कि रक्षा करना है।
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हरियाली अमावस्या पर क्या करें। Hariyali Amavasya ki pooja vidhi
- हरियाली अमावस्या के दिन प्रातः काल आप नदी, तालाब या फिर अप्प घर पर स्नान कर मन और शरीर को शुद्ध करें।
- स्नान करने के बाद भगवन शिव को बेलपत्र, दूध, जल, धतूरा और अक्षत आदि चढ़ाएं और माता पार्वती को श्रंगार कि सामग्री आदि अर्पित करें।
- हरियाली अमावस्या के दिन पौधा लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है , इस दिन सभी को पीपल, बरगद, या फिर तुलसी का आदि पौधा लगा सकते हैं।
- आप अपने पितरों को याद कर जल , तिल और पुष्प आदि अर्पित कर श्राद्ध करें।
- आप अपने हिसाब से जरुरत मंद को दान में कुछ भी भोजन, वस्त्र आदि दान कर सकते हैं।
हरियाली अमावस्या पर विशेष मान्यताएं
- सावन कि अमावस्या पर भगवान शिव कि पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और पाप भी कट जाते हैं।
- कहते हैं इस दिन पौधे लगाने से आने वाली पीढ़ियों को सुख-समृद्धि मिलती है।
- इस दिन दान करने से दान का फल कई गुना अधिक मिलता है।
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निष्कर्ष | Hariyali Amavasya 2025
मुझे आशा है कि आप समझ गए होंगें कि यह हरियाली अमावस्या हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है, हरियाली अमावस्या 2025 सिर्फ एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि यह प्रकृति को संरक्षित करने का और समाज में सद्भावना फैलाने का सन्देश देने वाला दिन है और इस दिन पौधे लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारा पर्यावरण स्वच्छ और हरा भरा बना रहे। शिव-पार्वती की पूजा और पितृ तर्पण करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।