इन दिनों अफ़्रीका युद्ध की आग में जल रहा है। अफ़्रीकी देश इथिओपिआ में सरकार और विद्रोहियों के बीच भीषण लड़ाई जारी है।
इथिओपिआ में जारी संघर्ष में अबतक सैकड़ों नागरिकों की मौत हो चुकी है तथा हज़ारों लोग जान बचने के लिए पडोसी देश सूडान में शरण ले रहे हैं।
इथियोपिया की भौगोलिक आर्थिक और सामरिक स्तिथि
इथिओपिआ उत्तरी अफ़्रीका का एक देश है जिसकी कुल आबादी है 11 करोड़। इसकी राजधानी है अदिस अबाबा।
इथिओपिआ अफ़्रीका का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश एवं सबसे तेज़ उभरती अर्थव्यवस्था है। यहाँ पर होने वाले परिवर्तन से आस पास के देश भी प्रभावित होते हैं।
सूडान , युगांडा।, सोमालिया , कीनिया इथिओपिआ के पड़ोसी देश हैं।
इथियोपिया का भारतीय कनेक्शन
बात करें भारतीय नागरिकों की तो इथिओपिआ में 6000 भारतीय रहते हैं। इथिओपिआ के 30 विभिन्न शिक्षण संस्थानों में करीब 2500 भारतीय टीचर्स और प्रोफेसर्स हैं।
तकनीक, विज्ञान ,व्यापार , संचार में भारत के इथिओपिआ के साथ कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। कई इथिओपियन कंपनी में भारतीय लोग काम करते हैं।
ये लड़ाई क्यों हो रही है ? रुक क्यों नहीं रही है ? और इस लड़ाई से वहाँ के नागरिकों का क्या हाल है ?
पूरा मामला समझने के लिए हमें दो वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 2018 Abiy Ahmed इथिओपिआ के प्रधानमंत्री बने। पद प्राप्ति के बाद Abiy Ahmed ने सत्तारूढ़ गठबंधन को भंग कर समस्त क्षेत्रीय पार्टियों का विलय कर एक राष्ट्रीय पार्टी का निर्माण किया। लेकिन प्रमुख विपक्षी पार्टी टी.पी.एल.एफ. ( ट्रिगे पीपल लिबरेशन फ्रंट ) ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया। Abiy Ahmed के प्रधानमंत्री बनने के पहले तक टी.पी.एल.एफ. इथिओपिआ की सत्ता पर काबिज थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद Abiy Ahmed ने कई बड़े बदलाव किये टी.पी.एल.एफ. के प्रमुख लोगों को महत्वपूर्ण सरकारी पदों से हटा दिया।
इस कारण से हुई युद्ध की शुरुआत
कोरोना महामारी के कारण देश में चुनाव पर पाबन्दी के बीच सितंबर 2020 में ट्रिगे में चुनाव हुए। इथिओपिआ की केंद्र सरकार ने इन चुनावों को ग़ैरकानूनी क़रार दिया। दो महीने बाद नवंबर 2020 प्रधानमंत्री Abiy Ahmed ने टी.पी.एल.एफ. पर सैन्य ठिकानों पे हमला करने एवम हथियार चुराने के गंभीर आरोप लगते हुए सैन्य कार्यवाई की घोषणा की।
वहीं दूसरी तरफ़ विद्रोही संगठन टी.पी.एल.एफ ने इन आरोपों का पुरजोर खण्डन करते हुए इसे सरकार द्वारा युद्ध थोपने के लिए रचा गया एक षड्यंत्र बताया है।
नोबेल पुरष्कार विजेता प्रधानमंत्री
बताना जरुरी होगा कि इथिओपिआ के प्रधानमंत्री Abiy Ahmed को Eritrea में शांति बहाली के प्रयासों के लिए वर्ष 2019 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। लेकिन कहना ग़लत न होगा कि अपने घर में शान्ति बहाल करने में वो विफल रहे।
Abiy Ahmed
विद्रोही संगठन टी.पी.एल.एफ.( ट्रिगे पीपल लिबरेशन फ्रंट ) के सेना से जुड़े 76 अधिकारियों पर देश द्रोह का केस दर्ज़ हुआ है । गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हो गया है।
ट्रिगे क्षेत्र जो कि टी.पी.एल.एफ. का मज़बूत गढ़ माना जाता है में सरकार और विद्रोही लड़ रहे हैं। सरकार का दावा है कि उन्होंने ट्रिगे क्षेत्र के दो शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है। सेना राजधानी मेकले का रुख कर रही है।
विद्रोही संगठन टी.पी.एल.एफ ने कहा यह एक झटका जरूर है लेकिन आखिरी परिणाम हमारे पक्ष में होगा।
ट्रिगे क्षेत्र में संचार के सभी साधनो पर पाबंदी लगा दी गई है जिससे सटीक सूचना मिलने में मुश्किल हो रही है।
पीछे हटने को नहीं है तैयार
शांति और समझौते के लिए उठ रही अंतराष्ट्रीय आवाज़ों को दोनों ही पक्षों ने नज़रअंदाज़ कर दिया है। इससे गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हो गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह युद्ध इथिओपिया पर ज़बरन थोपा गया है। इसके पीछे Abiy Ahmed का मक़सद है इथिओपिया की वर्तमान छवि एवम पहचान को अपने अनुसार बदलना व अपने लिए मुफीद माहौल तैयार करना।
प्रधानमंत्री Abiy Ahmed का कहना है कि उन्हें ट्रिगे क्षेत्र के लोगों से कोई समस्या नहीं है दिक्कत का मूल कारण वहाँ की राजनितिक पार्टी है।
उधर ट्रिगे की सरकार का कहना है कि उनके लोग कभी हथियार नहीं डालेंगे। ट्रिगे उसके दुश्मनों के लिए नर्क है।