भारत के दूसरे प्रधानमंत्री व करोणों भारतियों के प्रेरणास्रोत स्व श्री लालबहादुर शास्त्री की आज पुण्य तिथि है। आज से 55 वर्ष पहले रूस के ताशकंद शहर में रहष्यमयी परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत कैसे हुई इस बात को लेकर बहुत सी कांस्पीरेसी थेओरीज़ है। लेकिन 55 साल बाद भी आज तक उनकी मौत के रहस्य पर से पर्दा नहीं उठ पाया है।
शास्त्री जी अपने सादे सार्वजनिक जीवन, सरल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण लोगों में बहुत लोकप्रिय थे। उनका दिया नारा “जय जवान जय किसान” आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। यह नारा जितना तब महत्वपूर्ण था उतना ही महत्वपूर्ण आज भी है और आने वाले समय में भी रहेगा। उनका यह नारा भारत भूमि की असल भावना से ओतप्रोत है।
शास्त्री जी ने महज़ 16 साल की उम्र में गाँधी के असहयोग आंदोलन में भारत का नेतृत्व किया था। 1964 में नेहरू जी मि मृत्यु के बाद शास्त्री जी देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे रेल, और गृहमंत्रालय का पोर्टफोलिओ अपने पास ही रख़ा था।
शास्त्री जी के पुन्यतिथि के अवसर पर आइये जानते उनके जुडी कुछ रोचक बातें।
लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे महात्मा गाँधी का कथन कि “कठिन परिश्रम ही ईश्वर की सच्ची पार्थना है” को उन्होंने अपने जीवन में उतारा और इसे अपने जीवन का सूत्र बना लिया।
बहुत काम लोगों को पता होगा कि 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी सैलरी लेना बंद कर दिया था वो अपनी सैलरी सेना के एकाउंट में ट्रांसफर करा देते थे।
1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान जब भारत में अन्न की कमी थी शास्त्री जी ने “जय जवान जय किसान का नारा दिया” इस नारे ने भारतीयों में देशभक्ति की जो भावना जगाई वो आज तक हमारे दिलों में जिंदा है।
शास्त्री जी की ईमानदारी की आज भी मिशाल दी जाती है। एक वाकया उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान हुआ जब उन्होंने एक रेल एक्सीडेंट के लिए खुद को ज़िम्मेदार ठहराते हुए स्वयं को रेलमंत्री के पद से मुक्त कर दिया।
लालबहादुर शास्त्री को भारत में सफ़ेद-क्रांति का सूत्रधार मन जाता है। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना की और पुरे देश में लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा दुग्ध उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया।
1965 में लालबहादुर शास्त्री ने हरितक्रांति की नींव रखी जिसके तहत उन्होंने किसानों को नयी तकनीक अपनाकर ज़्यादा उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रधानमंत्री के तौर पर श्री शास्त्री का कार्यकाल सिर्फ़ 19 महीनों का था। अपने इस छोटे से कार्यकाल में उन्होंने पाकिस्तान से युद्ध जीता और कई ऐसी योजनाओं की शुरुआत की नींव रखी जो आगे चलकर भारत के चतुर्मुखी विकास का कारण बनी।
आख़िर में लालबहादुर शास्त्री जी के कुछ फेमस कोट्स ” हर राष्ट्र के जीवन में एक समय आता है जब वह इतिहास के चौराहे पर खड़ा होता है और उसे चुनना चाहिए कि किस रास्ते पर जाना है ”
“सच्चा लोकतंत्र या जनता का स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक माध्यमों से नहीं आ सकता है, इस सरल कारण के लिए कि उनके उपयोग के लिए प्राकृतिक भ्रष्टाचार विरोधी के दमन या विनाश के माध्यम से सभी विरोध को दूर करना होगा “