कौन हैं उइगर मुसलमान और किस तरह उनपर जुल्म कर रहा चीन ?

uyghur muslims
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कई अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों ने इस बात की पुष्टि की है की चीन ने पिछले दस सालों में लगभग 10 लाख से ज्यादा उइगर मुसलमानों (Uyghur Muslims) को कथित तौर re-educational कैम्पों में रखा हैं। इन कैम्पों रहने वाले लोगों के साथ अमानवीय व्यव्हार किया जा रहा है, ऐसा कहना है कैंप से निकले हुए लोगों का, जो अब दूसरों देशों में रहकर अपने समुदाय के लोगों की मदद के लिए गुहार लगा रहें हैं। वहीँ दूसरी तरफ़ चीन ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। चीन के आधिकारिक सूत्रों की माने तो ये आरोप चीन को बदनाम करने की एक साज़िश है।

कुछ इस तरह Uighur muslims जुल्म करता है चीन

पिछले वर्ष बीबीसी न्यूज़ पर एक चीनी मॉडल मर्दन का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उसके हांथों में हथकड़ी लगी हुई थी जो बिस्तर से बंधी थी। ग़ौरतलब है यह चीनी मॉडल कुछ वर्ष पहले एक सफल मॉडल हुआ करता था। 2016 में उसे ड्रग रखने के आरोप मे गिरफ़्तार किया गया जिसके लिए उसे 16 महीने की सज़ा हुई । सज़ा पूरी होने के बाद उसे कथित तौर पर re-education center में भेज दिया गया।

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इस वीडियो के वायरल होने के बाद समस्त पश्चिमी देशों ने चीन में हो रहे घोर मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज़ उठाते हुये चीन की निंदा की, कुछ ने कुछ प्रतिबंध भी लगाये। लेकिन क्या इतना काफी था ?
लाज़िमी है !
नहीं।
इस्लामिक देशों में तुर्की के अलावा और कोई देश, चीन के सामने कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। जो भी देश हैं वो या तो चीन के कर्ज़दार है या व्यापारिक हितैषी।
विरोध के उलट चीन ने आधिकारिक तौर पर कुछ videos को release करते हुये यह साबित करने की भरसक कोशिश की, इन कैंपो में लोग अपनी मर्ज़ी से आते हैं, और चीन इन कैम्पों में रह रहे लोग बेहद खुश एवं आराम में हैं। इतना ही नहीं चीन खाड़ी में अपने मित्र देशों की मदद से वहां रह रहे Uyghur मुसलमानो को चीन वापस बुला रहा है। सऊदी अरब जैसे देश Uyghur मुसलमानों को चीन भेजने में चीन की मदद कर रहें हैं।

साल 2014 के बाद बदली Uyghur मुस्लिमों की परिस्थितियाँ

साल 2014 में चीन के रेलवे-स्टेशन पर हुये एक बम-ब्लास्ट के बाद चीन ने इस घटना को इस्लामिक अलगाववाद से जोड़ते हुए चीन में Uyghur मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बहुत ही कठोर नीतिया लागू की हैं। जिसके तहत उन्हें re-educational कैम्पों में बंद किया जा रहा है। तब से लेकर आज तक चीन पर बार बार इस तरह के गंभीर मानवाधिकार-उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं।

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