Russia और Ukraine War की क्या है स्थिति, कैसे रुकेगा ये युद्ध?

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इस समय रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है और किसी को नहीं पता कि ये युद्ध कब विश्वयुद्ध में बदल जायेगा। Ukraine पर हमला करने के लिए रूस की विश्व में आलोचना हो रही है। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि Russia के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अपने अहम के लिए दुनिया को युद्ध में धकेल दिया। यह भी खबर है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन हर हालात में यूक्रेन पर कब्जा चाहतें हैं। इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं।

ऐसे हालात में रूस से अच्छी खबर आई है कि वहां के नागरिक युद्ध का विरोधकर रहे हैं। हो सकता है खुद के नागरिकों के विरोध से Russia Government पर दबाव बने और इस युद्ध पर विराम लग जाये। यह कार्य रूस के साथ –साथ पूरी दुनिया में होना चाहिए। जनता को युद्ध का विरोध करना चाहिए। जिससे कोई बड़ी अनहोनी न हो और फिर से शांति स्थापित हो।

रूस के लोग ही अपनी सरकार की कर रहे निंदा

Ukraine पर हमले के विरोध में रूस में लोगों का युद्ध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। रूस की राजधानी मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग और अन्य शहरों में शनिवार को लोग सड़क पर उतर आए और नारेबाजी की। पुलिस ने 460 लोगों को हिरासत में लिया गया। इसमें मॉस्को के 200 से अधिक लोग शामिल हैं।

Russia में यूक्रेन पर हमले की निंदा करने वाले ओपन लेटर भी जारी किए गए। इसमें 6,000 से अधिक मेडिकल स्टाफ, 3400 से अधिक इंजीनियरों और 500 टीचर्स ने साइन किए हैं। इसके अलावा पत्रकारों, लोकल बॉडी मेंबर्स और सेलिब्रिटिज ने भी ऐसे ही पिटीशन पर साइन किए हैं। यूक्रेन पर हमले को रोकने के लिए गुरुवार को एक ऑनलाइन पिटीशन शुरू की गई। इस पर शनिवार शाम तक 7,80,000 से अधिक लोगों ने साइन कर दिए हैं। माना जा रहा है कि यह बीते कुछ सालों में रूस में सबसे अधिक समर्थित ऑनलाइन याचिकाओं में से एक है।

यूक्रेन के समर्थन में कई देश

रूस के अलावा जापान, हंगरी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में लोग यूक्रेन पर हमले की कड़ी निंदा कर रहे हैं। लोग ‘युद्ध नहीं चाहिए’ के नारे लिखे पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं और राष्ट्रपति Vladimir Putin से इस युद्ध को रोकने की मांग कर रहे हैं। रूसी पुलिस ने दर्जनों शहरों में युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले 1,700 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।

ये भी सूचना है कि रूस की कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद युद्ध के खिलाफ हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के दो सांसदों ने भी यूक्रेन पर हमले की निंदा की है। यह वही सांसद हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने के लिए मतदान किया था। सांसद ओलेग स्मोलिन ने कहा कि जब हमला शुरू हुआ तो वह हैरान थे, क्योंकि राजनीति में सैन्य बल का इस्तेमाल अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिए। दूसरे सांसद मिखाइल मतवेव ने कहा कि युद्ध को तुरंत रोक दिया जाना चाहिए।

उधर यूक्रेन से आ रही खबर अच्छी नहीं हैं। रूसी सेना (Russian Army) सैनिक प्रतिष्ठान के अलावा सिविलियन पर भी हमले कर रही है। शहरों में घुसे रूसी सैनिक लूटपाट कर रहे हैं। खार्किव शहर पर कब्जा करने के बाद रूसी सैनिकों ने एक बैंक लूट लिया। एटीएम लूटे जा रहे हैं। सैनिक एक डिपार्टमेंटल स्टोर में घुसकर सामान भी उठाते नजर आए।

रूस के हमले में कई यूक्रेन नागरिकों की मौत

यूक्रेन का दावा है कि अब तक रूसी हमले में 198 लोगों की जान जा चुकी है। इसमें 33 बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा 1,115 लोग घायल हो गए हैं। यूक्रेन (Ukraine) के हालत दिन पर दिन खराब हो रहे हैं। खाने− पीने का सामान कम पड़ गया है। रूसी हमले के बाद कीव, खार्किव, मेलिटोपोल जैसे बड़े शहरों में हर जगह तबाही दीख रही है। मिसाइल हमलों से इमारतें बर्बाद हो गई हैं। लोग खाने −पीने के सामान को तरस रहे हैं। कई जगह बच्चों से लेकर बड़े भी डर और दहशत की वजह से रोते देखे जा सकते हैं। लाखों लोग अपना शहर, देश छोड़कर बाहर जा रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने और अपने परिवार की चिंता है। वह जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थान पर पंहुच जाना चाहतें हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 1.50 लाख से ज्यादा यूक्रेनी शरणार्थी पोलैंड, मोल्दोवा और रोमानिया पहुंच चुके हैं।

इस युद्ध के विरोध में रूस (Russia) में जो हो रहा है, वह पूरी दुनिया में होना चाहिए। शांति स्थापना के लिए बनी एजेंसी और संगठन जब असफल हो जांए तो जनता को इसके लिए उठना चाहिए। पिछले कुछ समय से लग रहा है कि दुनिया में अमन −शांति कायम रखने के लिए बना संयुक्त राष्ट्र संगठन अपनी महत्ता खो चुका है। वीटो पावर प्राप्त पांचों देश की दंबगई के आगे इसकी महत्ता खत्म हो गई है। ऐसे में पूरे विश्व को शांति स्थापना के लिए किसी नए संगठन को बनाने के बारे में सोचना होगा। इसके लिए आवाज बुलंद करनी होगी। आंदोलन करने होंगे। जनमत बनाना होगा। लेकिन ऐसा करते समय ये ध्यान देना जरुरी है कि हमे शांति पूर्वक अपनी आवाज़ ऊपर तक पहुंचानी है।

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