धीरूभाई अंबानी एक जाने-माने बिजनेसमैन थे और उनको आज सब बिज़नेस आइकॉन मानते है। 

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लोग जानना चाहते है कि धीरूभाई अंबानी अमीर कैसे हुए? तो आज हम इसी के बारे में जानेंगे कि कैसे वो इतने अमीर बने। 

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धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसम्बर, 1932 को गुजरात में हुआ था। आर्थिक समस्या की वजह से धीरूभाई अंबानी केवल हाईस्‍कूल तक की पढ़ाई कर सके।

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जब वे सोलह वर्ष के थे तो एडन, यमन चले गए, वहां उन्होंने अपनी पहली नौकरी 300 रुपये/ माह तनख्वाह पर काम किया।

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1958 में धीरुभाई भारत वापस आ गए और 15000 रूपए की पूंजी के साथ Relianc Commercial Corporation की शुरुआत की।

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इसका प्राथमिक व्यवसाय पोलियस्टर के सूत का आयात और मसालों का निर्यात करना था। वे अपने दुसरे चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी के साथ साझेदारी में व्यवसाय शुरू की। 

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रिलायंस वाणिज्यिक निगम का पहला कार्यालय मस्जिद बन्दर के नर्सिनाथ सड़क पर एक टेलीफोन, एक मेज़ और तीन कुर्सियों के साथ एक 350 वर्ग फुट का कमरे में शुरू हुई। 

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1965 में चंपकलाल दिमानी और अंबानी की साझेदारी खत्म हो गयी और इसके बाद 1966 में धीरुभाई अंबानी ने अहमदाबाद, नैरोड़ा में कपड़ा मिल की शुरुआत की।

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धागे के फैक्ट्रियों (कपड़ा मिल) के निर्माण में धीरुभाई जोखिम लेते हुए काम करते रहे और 1968 में उन्होंने दक्षिण मुंबई के अल्टमाउंट सड़क पर कारोबार शिफ्ट कर लिया।

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1960 तक अंबानी की कुल धनराशि 10 लाख रूपये आंकी गयी थी। इसके बाद वो कड़ी मेहनत से आगे बढ़ते गए और उनकी संपत्ति भी बढ़ती रही और वे भारत में सबसे अमीर शख्स बने।

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