यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राजनीति में होंगे सक्रिय

राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राजनीति में सक्रिय होंगे। आज समर्थकों के साथ 87 साल के कल्याण सिंह बीजेपी की सदस्यता लेंगे। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र आज राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ लेंगे। कल्याण सिंह सोमवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं। जहां यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उन्हें पार्टी कार्यालय लाएंगे और फिर से उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाएंगे। दरअसल पिछले 5 सालों से कल्याण सिंह यूपी की सक्रिय सियासत से बाहर चल रहे थे।

प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए कल्याण सिंह ने उस दौर में बीजेपी को इतना मजबूत किया था कि भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई थी। उस समय हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सांसदों की संख्या तीन से बढ़कर 51 हो गई थी। कल्याण सिंह के बारे में यह कहा जाता है कि वह संघर्ष करने और वोट निकलवाने में एक सफल नेता साबित हुए हैं। यही कारण है कि दो बार पार्टी छोड़ने के बाद भी उन्हें संगठन अपना लेता है। लेकिन अब नए युग की राजनीति में कल्याण सिंह कितना असर दिखाएंगे, इस समझने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। लेकिन विपक्षी दल इसे महज एक औपचारिकता ही कह रहे है।

बाबरी विध्वंस मामले में कल्याण सिंह की जमानत हुई मंजूर

दरअसल कल्याण सिंह भाजपा के हिन्दू चेहरे के रूप में बड़ी पहचान रखते हैं। राम मंदिर आंदोलन में कल्याण की भूमिका अहम मानी जाती रही है। यही कारण है कि कल्याण सिंह जब यूपी के सीएम थे और 6 दिसम्बर 1992 को रामभक्तों ने विवादित स्थल को ध्वस्त करना शुरू किया तो कल्याण ने पूरी घटना की जिम्मेदारी खुद ले ली थी और सरकार से इस्तीफा भी दे दिया था। उन्होंने उस वक्त सीएम पद का लालच नहीं किया था। कल्याण सिंह पिछड़ों के नेता के रूप में भी अपनी पहचान रखते हैं। यही कारण है कि कल्याण सिंह के नेतृत्व में हमेशा पिछड़ों को हक दिलाने की बात जोरदारी से कही जाती रही है। ऐसे में उपचुनाव में भी बीजेपी के लिए फायदे मंद साबित हो सकते हैं।

कोर्ट में चल रही है मामले की सुनवाई

कल्याण सिंह के करीबियों का कहना है कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि उभरी थी। अब वह ऐसे समय में वापसी कर रहे हैं, जब देश में राम मंदिर मुद्दा गरमाया हुआ है। कोर्ट में राम जन्मभूमि को लेकर सुनवाई हो रही है और तीन महीने में इसका निर्णय आने की संभावना है। ऐसे में अगर कल्याण सिंह के खिलाफ पुराना मुकदमा चलने के हालात बनते है, फिर इस मुद्दे पर पीछे रहना शायद मुश्किल हो।

कल्याण सिंह के वक्त गिरा था विवादित ढांचा

करीबियों का तर्क है कि जिस तरह से विवादित ढांचा कल्याण सिंह की सरकार रहते गिरा, उसी तरह अब मंदिर बनने की प्रबल संभावना में उनकी भूमिका खास बनाने का बेहतर मौका रहेगा। यह सक्रिय राजनीति में आने से ही संभव हो सकेगा। गौरतलब है कि राज्यपाल बनने से पहले खुद कल्याण सिंह कई बार अपने कार्यकाल में विवादित ढांचा गिराए जाने पर फख्र होने की बात कहते रहे हैं।

बता दें कि इससे पहले कल राजस्थान राजभवन में कल्याण सिंह की विदाई पार्टी हुई। राजभवन के कर्मचारियों ने महामहिम राज्यपाल कल्याण सिंह को विदाई पार्टी दी, जिसमें कल्याण सिंह भावुक हो गए और उन्हें कहा कि मुझसे बीते 5 सालों में कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ कर देना। बताया जा रहा है कि कल्याण सिंह के इन शब्दों को सुनकर राजभवन के कर्मचारियों की आंखें नम हो गईं।

फ़िलहाल 9 सितंबर को कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश लौट रहे हैं और अपने बीजेपी की सदस्यता को रिन्यू कराएंगे। कल्याण सिंह की तरफ से कहा गया है कि वह सक्रिय राजनीति में एक बार फिर से लौटना चाहते हैं इसी वजह से वह बीजेपी की सदस्यता लेंगे। राजभवन में दोपहर 1 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।

कई बार पार्टी छोड़ चुके है कल्याण

कल्याण जी ने पांच साल पहले भाजपा की सदस्यता इसलिए छोड़ी थी क्युकी उनको राजस्थान के राज्यपाल बना दिए गए थे। राज्यपाल सविंधानिक पद है और उस पर बैठने वाला व्यक्ति किसी भी दल का सदस्य नहीं होना चाहिए। इसके पहले जब वे भाजपा हाई कमान से नाराज हुए थे ,तब उन्होंने भाजपा छोड़ कर भारतीय क्रांति मोर्चा बनाया था। उसके बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया था।

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