डीजीपी ओपी सिंह के रिटायर होने के बाद कौन होंगे नए डीजीपी

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के डीजीपी ओपी सिंह 31 जनवरी 2020 को अपने पद रिटायर होंगे। अब इस सवाल यह उठता है की क्या उन्हे तीन माह का सेवा विस्तार मिलेगा या मुख्य सूचना आयुक्त बनेंगे ?इस समय अटकलों का बाजार गर्म। चर्चा है कि यदि डीजीपी पद पर सेवा विस्तार नहीं मिला तो वे मुख्य सूचना आयुक्त हो सकतें हैं।

क्योकि इससे पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह को रिटायर होने से पूर्व अंतिम सप्ताह में सेवा विस्तार भी मिला था।इसके साथ ही प्रदेश पुलिस का नया मुखिया बनने की दौड़ में नामों की लंबी लाइन लगी हुई है।आपको बता दे की उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओमप्रकाश सिंह का कार्यकाल 31 जनवरी 2020 में ख़त्म हो रहा है। गौरतलब है की डीजीपी ओपी सिंह का यह कार्यकाल ढाई साल का था। आने वाले नए साल के जनवरी में इनका कार्यकाल पूरा हो जाएगा। बता दे की इस बार यूपी में नए डीजीपी का चयन संघ लोक सेवा आयोग द्वारा किया जाएगा।

2020 में ख़त्म होगा ओपी सिंह का कार्यकाल

इसके चयन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को तीन महीने पहलेतीन से पांच आईपीएस अधिकारियों का पैनल आयोग को भेजना होगा। मौजूदा डीजीपी 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह 31 जनवरी 2020 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जनवरी 2020 में ही दो अन्य वरिष्ठ आईपीएस डीजी इंटेलीजेंस भावेश कुमार सिंह व डीजी विशेष जांच महेंद्र मोदी भी सेवानिवृत्त होंगे।

इनको मिल सकता है डीजीपी बनने का मौका

उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी के लिए प्रदेश सरकार को 3 महीने पहले 3-5 आईपीएस अधिकारियों का पैनल आयोग को भेजना होगा। राज्य के नए डीजीपी के लिए हितेश अवस्थी, जेएल त्रिपाठी, सुजानवीर सिंह समेत केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कुछ अफसरों के नाम को लेकर चर्चा है।

1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, ओपी सिंह

बता दे की डीजीपी ओपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्हें सुलखान सिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद उत्तर प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। वरिष्ठता में ओपी सिंह सबसे लंबे कार्यकाल वाले 7वें नंबर पर हैं। इससे पहले वो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में डीजी के पद पर थे। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल के महानिदेशक के रूप में भी वो कार्य कर चुके हैं।

राज्य में अपराध को कम करने के लिए उठाये सख्त कदम

बता दे की डीजीपी ओपी सिंह ने यूपी के पुलिस महानिदेशक का पदभार बहुत ही अच्छे ढंग से संभाल रहे है। उन्होंने राज्य में अपराध को कम करने के लिए कई सख्त कदम उठाए। उनके ही निर्देश पर उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ कई तरह के ऑपरेशन चलाए गए। जिनमें ‘जीरो टॉलरेंस नीति’, ‘ऑपरेशन रोमियो’ और ‘ऑपरेशन क्लीन’ शामिल हैं। ओपी सिंह के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के अंदर कोई भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ, जो उनके कार्यकाल की उनके लिए सबसे बड़ी सफलता है।

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