America, Austrelia, Briten, Newzeland और canda ने चीन पर आरोप लगाए हैं कि चीन ने Hongkong में विरोध प्रदर्शनों को रोकने, लोकतन्त्र की मांग को कुचलने और अपने आलोचकों को शांत करने के लिए नए नियम बनाये है इसी क़ानून के दम पर चार चुने गए सांसदों को अयोग्य करार कर उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया है।
चीन की धमकी !
इन आरोपों पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ‘झाओ लीजिआंग’ ने धमकी भरे लहज़े पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है ” चीन आतंरिक के मामलों में टाँग न अड़ाएं तो ही अच्छा है, वे सावधान रहें वरना उनकी आंखें निकल ली जाएंगी फ़र्क नहीं पड़ता वो पाँच हैं या दस”। उन्होंने आगे कहा चीनी लोग न किसी से डरते हैं और न परेशानी खड़ी करते हैं।
पिछले साल चीन ने एक प्रस्ताव पास किया था इसके अनुसार वो लोग जो देश के लिए ख़तरा हैं उनको चीन सरकार कभी भी पद से बर्खास्त कर सकती है। इसके बाद Hongkong ने चार सांसदों को बर्ख़ास्त कर दिया। ये चारों सांसद लोकतन्त्र के समर्थक हैं।
इस गिरफ़्तारी के विरोध में Hongkong के सभी लोकतंत्र समर्थक सांसदों ने अपने इस्तीफ़े की घोसणा कर दी।
सांसदों की बर्खस्तगी को Hongkong की आज़ादी को सीमित करने के रूप में देखा जा रहा है।
पश्चिमी देशों ने लगाए गंभीर आरोप !
पाँचो देशों के विदेश मंत्रालय ने साझा बयान जारी कर चीन से बर्ख़ास्त सांसदों को वापस लेने की अपील की है। व चीन के इस कदम को Hongkong की आज़ादी व स्वायत्तता को ख़तरे में डालने वाला बताया है। चीन के द्वारा बनाये गए इस नए कानून के अनुसार सड़क जुटना व प्रदर्शन करना गैरकानूनी माना जायेगा तथा इसे देश-द्रोह का मामला माना जायेगा।
इन पांच देशो के समूह को 5 Eyes कहते कहते हैं। ये पांचो देश आपस में ख़ुफ़िया जानकारी साझा करते हैं। इसका गठन शीत युद्ध के समय किया गया था। इनका मुख्य उद्देश्य था सोवियत संघ और उसके सहयोगियों की हरकतों पर नज़र रखना।
चीन से हांगकांग के सम्बन्ध
Hongkong ने एक देश दो सिस्टम के सिद्धांत के अंतर्गत चीन के साथ आने का फैसला किया था। इस सिद्धांत के अनुसार 2047 तक Hongkong के पास पूरी स्वायत्तता व सभी अधिकार, व निर्णय लेने की स्वतंत्रता होगी जो चीन में भी नहीं हैं।
एक विशेष प्रशासित क्षेत्र के तौर पर Hongkong की अपनी कानून प्रणाली होगी। विभिन्न राजनितिक पार्टियां होंगी। अभिव्यक्ति व एक जगह जुटने की तथा विरोध प्रदर्शन करने की आज़ादी होगी।
लेकिन कई सालों के चीन विरोधी और लोकतन्त्र समर्थक आंदोलनों के बाद पिछले साल जून में चीन ने एक विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया।
इस कानून के चलते Hongkong की स्वायत्तता कम हो गयी तथा प्रदर्शनकारियों को सज़ा देना आसान हो गया।
नए क़ानून पर दोनों पक्षों के तर्क
अलगाववाद राजद्रोह एवं विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत करना अपराध होगा। चीन का तर्क है कि इस कानून से Hongkong में स्थिरता आएगी। वही पक्षिमी देशों सहित तमाम मानवाधिकार संगठनो का आरोप है कि इस क़ानून से हांगकांग की स्वायत्तता खतरे में पड़ जाएगी। यह अभिव्यक्ति की आज़ादी छीनने वाला क़ानून है।
इस कानून के आने के बाद से Hongkong में लोकतन्त्र समर्थक समूह अपनी सुरक्षा के डर से बिखर गए। साल की शुरुआत में इस कानून के अन्तर्गत एक पत्रकार को गिरफ़्तार किया गया था जिसने प्रदर्शनकारियों पर हिंसक हमले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाये थे।