मौसम ने ली करवट ! क्या हैं फायदे और नुकसान ?

जनवरी नए साल का पहला महीना होता है आमतौर पर जनवरी नए साल का स्वागत कड़ाके की ठण्ड के साथ करती है। हमेशा की तरह इस बार भी नए साल का स्वागत हुआ कड़कड़ाती की ठंड के साथ। 1 जनवरी को राजधानी लखनऊ का न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। लेकिन पिछले दो दिनों से मौसम में क़ाफी उलटफ़ेर दिख रहा है। प्रदेश में न्यूनतम और अधिकतम तापमान ने बढ़ोत्तरी दर्ज़ की गई है।

सप्ताह की शुरुआत होती है जबरजस्त ठंड और शीतलहर के साथ लेकिन पांच ही दिन बाद मंगलवार को न्यूनतम तापमान 6.9 डिग्री से एकाएक बढ़कर 27.8 डिग्री पहुंच गया। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक़ मौसम में यह बदलाव सामान्य है इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। यदि मौसम विभाग के आंकड़ों पर जाएं तो पता लगता है कि पिछले 12 वर्षों में यह पहली बार हुआ है जबकि जनवरी का पहला सप्ताह इतना गर्म रहा।

 

आंचलिक मौसम विज्ञानं केंद्र के निदेशक जे. पी. गुप्ता ने आवाज़-ए-उत्तर प्रदेश को बताया कि ठंड अभी जाएगी नहीं हल्का विराम जरूर है लेकिन ठंड फिर से वापसी करेगी। तापमान अभी बढ़ रहा है लेकिन जब ठंड वापस आएगी तो तापमान भी गिर जायेगा। श्री गुप्ता के मुताबिक़ बुधवार को अधिकतम तापमान 27 डिग्री जबकि न्यूनतम तापमान 13 डिग्री तक रहने का अनुमान है।

ऐसा मन जाता है कि मकरसंक्रांति के बाद से ठंड का मौसम अपना मिज़ाज बदलने लगता है और ग्रीष्म ऋतु के अंकुर फूटने लगते हैं। लेकिन मंगलवार को तापमान में हुई अचानक वृद्धि जनवरी के बदलते मौसम की कहानी कहते हैं। बात करें जनवरी के आलटाइम मैक्सिमम टेम्प्रेचर की तो यह रिकॉर्ड 1 जनवरी 1992 को बना था उस दिन का अधिकतम तापमान 31.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था।

यदि मौसम और गर्म हुआ और ठंड ने वापसी नहीं की तो इसकी सबसे ज्यादा कीमत किसानो को चुकानी होगी। मौसम में इस अप्रत्याशित बदलाव से रबी की फ़सल का नुकसान होना तय है। एक तरफ़ ठंड के तेवर हलके होने से लोगों को थोड़ी राहत मिली है तो दूसरी तरफ़ बदलते मौसम ने किसानो की चिंताएं और बढ़ा दी हैं ।

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