खेल:। क्रिकेट जगत में अपने स्लेजिंग का नाम तो सुना ही होगा, जिसमें अक्सर बल्लेबाज और गेंदबाज एक दूसरे को कमेन्ट करते हैं और उन्हें गलती करने के लिए उकसाते हैं। जिससे वह जोश-जोश में ऐसी कोई गलती कर बैठे और सामने वाले प्रतिद्वंदी को इसका फायदा मिले।
लेकिन कभी ऐसा भी हो जाता है कि खिलाड़ी कुछ और भी बोल जाते हैं। ऐसा ही एक किस्सा सुनाया भारत के पूर्व स्पिनर दिलीप दोशी ने जो की पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी जावेद मियांदाद से जुड़ा है।
दिलीप दोषी ने 1983 के बेंग्लुरु में हुए पहले टेस्ट के एक दिलचस्प वाकये को याद किया और बताया कि किस तरह जावेद मियांदाद ने मैदान पर उनकी स्लेजिंग की थी।
दिलीप दोशी ने पूर्व भारतीय स्पिनर मुरली कार्तिक साथ एक इंटरव्यू में कहा कि ”जावेद मियांदाद के अंदर गलियों के लड़कों की तरह लड़ने की प्रवृत्ति है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि वह एक महान बल्लेबाज भी हैं। मैं उनका सम्मान करता हूँ, वो मैदान के अंदर हो चाहे बाहर उनका कैरेक्टर दोनों जगह अलग-अलग होता है।
वो पूछ रहे थे कि मेरा रूम नंबर क्या है?
दोशी ने आगे बताया कि ”मियांदाद को ऑफ स्टंप के बाहर गेंद खेलना पसंद है, लेकिन मै स्टम्स पर ही गेंद डालता था। एक बार की बात है जब मैंने उन्हें उनका पसंदीदा शॉट नहीं मारने दिया, क्योंकि उसमें खतरा था वो आउट भी हो सकते थे, इस पर वह काफी नाराज हो गए। वह दूसरों को गुस्सा दिलाने में माहिर थे और वो ऐसा कई बार कर चुके थे।
इसके बाद उन्होंने कहा मियांदाद जब खेल रहे थे तब उनके पास से जो भी फील्डर गुजर रहा था वह उसके जरिये मुझ तक एक संदेश पहुंचा रहे थे। वो फिल्टर से पूछ रहे थे कि, मेरा रूम नंबर क्या है? वह मुझसे कहना चाह रहे थे कि मेरा रूम नंबर क्या है, मैं गेंद को वहीं मारूंगा।
उसके बाद से यह स्लेजिंग लीजेंडरी बन गई। बहुत से खिलाड़ियों ने इसे रिपीट किया। यह एक स्पेशल बेंटर बन चुका था।
इसके अलावा जब कार्तिक ने दोशी से पूछा कि क्या मियांदाद उनकी गेंदों को मार पाए तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि वह संघर्ष कर रहे थे लेकिन ”वह ऐसा नहीं कर पाए। उन्होंने 98 रन बनाए। वह मुझे हिट नहीं कर पाए।”
दिलीप दोशी का यह अंतिम टेस्ट मैच साबित हुआ। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया, जिसका उन्हें अफसोस हुआ।