महाराष्ट्र सरकार का तानाशाह रवैया,कंगना से इस वजह से दिखा रही निजी दुश्मनी

Chief Minister Uddhav Thackeray,
Kangana Ranaut

महाराष्ट्र। मुम्बई में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा लोकतंत्र के दुरूपयोग का एक खुला उदाहरण है। अगर मुम्बई सरकार की कंगना रनाउत के सम्बन्ध में की गई कार्यवाही को देखा जाये तो लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी सरकार का तानाशाही रवैय्या स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। कंगना रनौत का यह कहना कि अगर मेरे ऑफिस की वैधता या अवैधता के बारे में पूछना है। तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा महाराष्ट्र के शक्तिशाली नेता तथा उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले शरद पवार से पूछा जाये।

कंगना के बयान पर पत्रकारों पर कार्यवाही

Kangana Ranaut
Kangana Ranaut

कंगना रनाउत का यह बयान लोकतंत्र के पहरूओं के बारे में बहुत कुछ कह जाता है।कंगना कंगना रनौत के विरूद्ध तानाशाही भरी कार्यवाही,रिपब्लिक भारत न्यूज चैनल के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी क्यों? ऐसा क्या था महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मुम्बई स्थित फार्म हाउस में जो वो मीडिया से छिपाना चाहते थे। क्या यह मीडिया का मुँह बन्द करने का प्रयास नहीं।क्या यही है लोकतंत्र? पद ग्रहण के समय राजनेता लोग भारतीय संविधान के अनुसार कार्य करने की शपथ लेते हैं! क्या राजनेता लोग उस शपथ की मर्यादा रखते हैं।

सत्ता सुख के लिए उड़ाई भारतीय संविधान की धज्जियां

 

Chief Minister Uddhav Thackeray,
Chief Minister Uddhav Thackeray,

 

सत्ता पाने के लिये विधायकों की खरीद फरोख़्त, जनता के पैसे का दुरूपयोग,जनता के पैसे से ऐश,सुख,सुविधा का लाभ उठाते।लोकतंत्र के पहरूये। महाराष्ट्र की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई। सरकार ने मुम्बई में कंगना रनाउत के विषय में लोकतंत्र तथा भारतीय संविधान की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी हैं। क्या इसको लोकतंत्र कहा जायेगा या तानाशाही। एक प्रश्न क्या पूरा भारत किसी बपौती है। क्या कोई राजनीतिक दल या नेता यह तय करेगा कि फलाँ आदमी,महाराष्ट्र, में रहेगा या बिहार में या उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र की सरकार वर्षों से,दाऊद इब्राहिम का अवैध कब्जा क्यों नहीं गिरा पाई।जिस सरकार में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर खुले आम हमला किया जाये वहाँ कैसा लोकतंत्र।

आपको बता दें की कंगना रनौत के बंगले को  गिराने की अंतिम तारिख 30 सितम्बर थी। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसे समय से काफी पहले गिरा दिया और खुद के तानाशाह रवैये का प्रदर्शन कर रही है।

ब्यूरो रिपोर्ट- शशांक श्रीवास्तव

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