एक भारतीय है जो coronavirus महामारी से निपटने के लिए 1500 करोड़ रुपए दान करता है। एक भारतीय है जो देश की अलग-अलग जगहों पर मरीज़ों के लिए अस्पताल बनवा देता है, एक भारतीय है जो देश की लड़कियों को डॉक्टर बनाने का सपना देखता है। वह अपने सपने में यह नहीं देखता है कि उसके द्वारा दान किये गए रुपयों से हिन्दुओं का इलाज होगा या फिर मुसलमानों का। उसने ऐसे किसी भी अस्पताल का सपना नहीं देखा था जिसमे सिर्फ हिन्दू या फिर सिर्फ मुसलमान इलाज करायेगें। एक ऐसा भारतीय है जो देश की लड़कियों को डॉक्टर बनाने का सपना देखता है और वह उसने यह सपना देखने से पहले लड़कियों के धर्म के बारे में नहीं सोचा था।
यह गर्वित भारतीय कोई और नहीं बल्कि टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष रतन नवल टाटा हैं।
टाटा समूह वह समूह है जो टाटा चाय के साथ आपकी रसोई से सम्बन्ध जोड़ता है और साथ ही टाइटन और तनिष्क के द्वारा आपके साज और शृंगार को सँभालते हुए जैगुआर (Jaguar) कार के साथ विलासितापूर्ण जिंदगी जीने के हर साधन उपलब्ध कराता है।
रतन नवल टाटा का एक ऐसा सपना, जिसको सुनकर लोगों को विश्वास भी नहीं होता था कि एक आम आदमी अपनी दुपहिया की जगह पर कार का इस्तेमाल करेगा। उनके द्वारा देखे गए इस सपने में सफलता की गुंजाईश थोड़ी कम थी लेकिन नियत, सोच और ज़ज़्बा पूरा था। इस तरह टाटा ग्रुप ने नैनो कार को बाजार में उतारा।
रतन टाटा को कौन नहीं जानता, आज दुनिया भर की कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों का बीमा कराती हैं लेकिन इस प्रथा की शुरुआत करने वाले कोई और नहीं बल्कि रतन टाटा ही थे। सीना गर्व से और भी चौड़ा हो जाता है जब पूरे UK में ‘टेटली चाय’ के बड़े-बड़े होर्डिंग्स नज़र आते हैं और नीचे लिखा होता है ‘अ टाटा प्रोडक्ट’ । समय जैसा भी हो लेकिन रतन टाटा की आँखों से हमेशा से ही बड़े सपने देखे गए हैं।
आज 2020 में समय बदल गया है। आज लोग रिलायन्स में निवेश करने के बारे सोचते हैं लेकिन जब भी बात नौकरी की आती है तो Reliance की जगह पर लोग TCS या किसी टाटा के ब्रांड को ही चुनते हैं।
क्या है टाटा ग्रुप और उसके शेयर का इतिहास
टाटा ग्रुप की बात हो ही रही है तो टाटा ग्रुप के शेयर की भी बात कर लेते हैं। अगर हम टाटा के एक शेयर की बात करे तो सन् 2000 लगाए गए 1 लाख रुपये आज की तारीख में 4 करोड़ 96 लाख बन चुके हैं। कुछ इस तरह का शेयर था टाटा समूह का और उसी टाटा समूह का हिस्सा है Titan । इस टाइटन का एक छोटा सा हिस्सा है तनिष्क (Tanishq)। जो आपको सोनचांदी के आभूषण उपलब्ध करता है।
आज विवाद का विषय तनिष्क का एक प्रचार है पर है। एक ऐसा विवाद जिसका शायद कोई अस्तित्व भी नहीं है या शायद होना भी नहीं चाहिए या फिर यूँ कहें कि ये कुछ खुराफाती लोगों की तुच्छ तरह की खुराफात मात्र है। कुछ ऐसा कि खली दिमाग शैतान का घर का घर। अब अगर दुनिया में सबसे सस्ता इंटरनेट उपयोग करेंगे तो कुछ इस तरह के लोगों का सामना तो करना ही पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला:
बात ऐसी है कि तनिष्क एक प्रचारिक विज्ञापन बनाता है, जिसमें एक हिन्दू लड़की की गोद भराई एक मुस्लिम परिवार में धूम धाम से हो रही है. तभी लड़की अपनी सासू माँ से पूछती है:-
बहू – ये रस्म तो आपके घर में होती नहीं है न माँ ?
सास – पर बिटिया को खुश रखने की रस्म तो हर घर में होती है ना।
बस आ गया सस्ते इंटरनेट को गलत तरीके से उपयोग करने का विचार। एक ऐसा मुद्दा जिसे तुरंत ही लव जिहाद से जोड़ कर ट्रेंड करा सकें। Boycott Tanishq ट्रेंड होता है, बड़े बड़े लोग अपने विचारों के साथ आ जाते हैं, जैसाकि रिवाज़ है कि कुछ की सहमति होती है और कुछ की असहमति।
कुछ वैसे ही जैसे नुसरत जहाँ हिन्दू लड़के से शादी करके, दुर्गा पूजा में शामिल होती हैं और कुछ को नागवार गुज़रता है तो कुछ इसे एकता की मिसाल देते है. पर उसमे तनिष्क जैसा कोई ब्रांड नहीं शामिल था।
शायद तनिष्क इस वीडियो के माध्यम से उसी एकता की मिसाल को पेश करना चाहता था पर शायद वो यह भूल गया की कुछ बुद्धिजीवी अभी भी उनसे भी ऊपर हैं।
समापन टिप्पणी:-
हिन्दू मुस्लिम पर बने प्रचार पहले भी बहिष्कार का शिकार होते रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हिन्दू मुस्लमान पर बने विज्ञापनों को बहिष्कारों करने की मांग उठी हो। इससे पहले भी बहुत सारे विज्ञापन लोगों के आक्रोश का शिकार होते रहे हैं। सर्फ एक्सेल, कौन बनेगा करोड़पति ऐसे ही विज्ञापनों के उदाहरण हैं।
उम्मीद है कि आगे भी हमारे बुद्धिजीवी विचारक ऐसे ही विज्ञापनों का बहिष्कार करते रहेंगे जो हिन्दू मुस्लिम एकता को बल देने वाले होंगे। वैसे सस्ता इंटरनेट उपयोग करने वालो से उम्मीद तो नहीं है कि वह तनिष्क के आभूषणों को कभी खरीदेंगे। लेकिन यह सभी हमारे व्यक्तिगत विचार है। किसी भी समझदार को इससे आहत होने की ज़रूरी है और न ही ये लेख लव जिहाद करता है।