उत्तर प्रदेश में डीजे पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटाया

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उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी समारोहों में बजने वाले डिस्क जॉकी (DJ) पर रोक लगा दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एक बार फिर से शादी समारोहों में डीजे की धुन पर थिरकने का रास्ता खुल गया है साथ ही डीजे चलाकर कमाई करने वालों को भी बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक सीजन शुरू होने के ठीक पहले ही यह फैसला सुनाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी साल 20 अगस्त को ध्वनि प्रदूषण की वजह से डीजे चलाने पर रोक लगाईं थी जिसमे कहा गया था कि “डीजे से तेज आवाज में निकलने वाली ध्वनि लोगों के स्वास्थ्य के लिए और खासकर बच्चों के लिए गंभीर खतरा है। अगर डीजे न्यूनतम आवाज में भी बजाई जाए, तो भी वह नियम के तहत तय स्वीकृत डेसीबल रेंज से अधिक होती है”।

राहुल गाँधी को सलाह देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को स्वीकार किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ विकास तोमर तथा कुछ अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था जिसमे कहा गया था कि “हाईकोर्ट के फैसले के बाद से राज्य सरकार उनकी तरफ से शादियों में डीजे बजाने की इजाजत मांगने के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है”। इन लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले को संविधान के अनुच्छेद-16 का उल्लंघन कहा और इस व्यवसाय से सम्बंधित लोगों के बेरोजगार होने की दुहाई दिया साथ ही बताया की वह लोग शादियों के अलावा कई अन्य समारोहों में डीजे की सेवा प्रदान करते हैं। याचिका दाखिल करने वालों ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत शरण की पीठ के सामने अपना पक्ष रखा था।

सुप्रीम कोर्ट के इन दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि “20 अगस्त को हाईकोर्ट ने किसी जनहित याचिका के बजाय एक सामान्य याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था जिसमे एक खास इलाके के बारे में ही शिकायत की गई थी”। बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को इन याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर ध्यान देकर उनको फिर से डीजे चलाने की इजाज़त देने का फैसला किया है और 16 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख रखी है।

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