तमिलनाडु के तंजावुर में आज 20 जनवारी को वायु सेना के बेड़े में सुखोई-30 स्क्वाड्रन को शामिल कर लिया गया है। इस मौके पर CDS बिपिन रावत और वायु सेना के एयर चीफ मार्शल RKS भदौरिया भी मौजूद रहे। सुखोई-30 को वरेट सैल्यूट के साथ सेना में शामिल किया गया।
RKS भदौरिया ने कहा की ब्रह्मोस के साथ SU-30MKI सबसे मजबूत समुद्री संयोजन है जो हमारे पास हथियार क्षमता के मामले में है। तंजावुर पूर्व और पश्चिम दोनों पक्षों और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पहुंच के कारण एक आदर्श गंतव्य है। इससे नौसेना को बहुत सहायता मिलेगी।
Chief of Defence Staff General Bipin Rawat: By virtue of the fact that Thanjavur is strategically very well located in southern peninsula, from here it can dominate the seas, provide very close and integrated support to Indian Navy. It can also provide support to the land forces. https://t.co/LGQdQPsl9K pic.twitter.com/btN2jjR65x
— ANI (@ANI) January 20, 2020
Chief of Defence Staff जनरल बिपिन रावत ने कहा की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत इस तथ्य के आधार पर कि तंजावुर रणनीतिक रूप से दक्षिणी प्रायद्वीप में बहुत अच्छी तरह से स्थित है, यहां से यह समुद्र पर हावी हो सकते है, भारतीय नौसेना को बहुत करीबी और एकीकृत समर्थन प्रदान करता है। यह भूमि बलों को भी सहायता प्रदान कर सकता है।
DRDO ने रात में की लड़ाकू विमान की अरेस्टेड लैंडिंग
सुखोई-30 स्क्वाड्रन
इस लड़ाकू विमान को रूस की सैन्य विमान बनाने वाली कम्पनी सुखोई और भारत की हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड ने मिलकर किया है। MKI का पूरा नाम मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि है। इस विमान में ब्रह्मोस मिसाइल को लगाया गया है। जो 300 किलोमीटर दूर भी निशाना लगा सकती है। इस मिसाइल को भी भारत और रूस ने मिलकर बनाया था और इसका नाम भारत और रूस की नदी के नाम पर ब्रह्मोस रखा गया है। अभी इसकी मारक क्षमता बढ़ाने को लेकर दोनों देश काम कर रहे है। अब महासागर में चीन पर नजर रखने के लिए सुखोई-30 स्क्वाड्रन का उपयोग किया जायेगा।