Shardiya Navratri 2021: जानें घटस्थापना का मुहूर्त, महत्व और विधि

Shardiya Navratri 2020
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Shardiya Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है जो इस बार 13 April को है और यह अगले नौ दिनों तक चलता है। इन दिनों में भक्त माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते है और व्रत रहते है। नवमी के दिन नौ कन्याओं को माता के नौ रूपों को मानकर पूजा की जाती है और व्रत खोला जाता है। इन नौ दिनों में पहला और आखरी दिन बहुत खास होता है। पहले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जाती है। तो आईये जानते है शुभ मुहूर्त और स्थापित करने का सही तरीका।

घटस्थापना करने का समय 5:45 बजे से प्रातः 9:59 बजे सुबह तक रहेगा।

घटस्थापना का महत्व

नवरात्रि में घटस्थापना यानि कलशस्थापना का अपना विशेष महत्व होता है।
यह प्रक्रिया नवरात्रि के प्रथम दिन की जाती है, जिसके बाद ही देवी दुर्गा के इस महापर्व का शुभारंभ होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलश स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। कलश को बेहद मंगलकारी माना जाता है।

घटस्थापना करने से घर पर आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

घटस्थापना की आवश्यक सामग्री

घटस्थापना के लिए सबसे पहले आपको कुछ ज़रूरी सामग्रियों को एकत्रित करना होता है। इसके लिए आपको चाहिए-

1. मिट्टी का कलश (आप चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते हैं)

2. किसी पवित्र स्थान की मिट्टी

3. सप्तधान्य (सात तरह के अनाज)

4. जल (संभव हो तो गंगाजल लें)

5. कलावा/मौली

6. सुपारी

7. आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)

8. अक्षत (कच्चा साबुत चावल)

9. छिलके/जटा वाला नारियल

10. लाल कपड़ा

11. फूल और फूलों की माला
पीपल, बरगद, जामुन, अशोक और आम के पत्ते (सभी न मिल पाए तो इनमें से कोई भी 2 प्रकार के पत्ते ले सकते हैं)

12. कलश को ढकने के लिए ढक्कन (मिट्टी का या तांबे का)
फल और मिठाई

घटस्थापना की संपूर्ण विधि

• नवरात्रि के पहले दिन कलशस्थापना करने वाले लोग सूर्योदय से पहले उठें और स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें।

• अब जिस जगह पर कलश स्थापना करनी हो वहां के स्थान को अच्छे से साफ़ करके एक लाल रंग का कपड़ा बिछा लें और माता रानी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

• इसके बाद सबसे पहले किसी बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज डालें। ध्यान रहे कि उस बर्तन के बीच में कलश रखने की जगह हो।

• अब कलश को उस बर्तन के बीच में रखकर उसे मौली से बांध दें और कलश के उपर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ।

• कलश में गंगाजल भर दें और उसपर कुमकुम से तिलक करें ।
इसके बाद कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र, पंच रत्न, सिक्का और पांचों प्रकार के पत्ते डाल दें।

• पत्तों के ऐसे ऱखें कि वह थोड़ा बाहर की ओर दिखाई दें। इसके बाद कलश पर ढक्कन लगा दें और ढक्कन को अक्षत से भर दें।

• अब लाल रंग के कपड़े में एक नारियल को लपेटकर उसे रक्षासूत्र से बाँधकर ढक्क्न पर रख दें।

• इसके बाद सच्चे मन से

देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए कलश की पूजा करें।
कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूल माला, इत्र और नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।

• जौ में पूरे 9 दिनों तक नियमित रूप से पानी डालते रहें, आपको एक दो दिनों के बाद ही जौ के पौधे बड़े होते दिखने लगेंगे।

• कलश स्थापना के साथ बहुत से लोग अखंड ज्योति भी जलाते हैं। आप भी ऐसा करते हैं तो ध्यान रखें कि ये ज्योति पूरे नवरात्रि भर जलती रहनी चाहिए।

• कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा करें।
ध्यान रखें कि माँ शैलपुत्री को चढ़ाने वाला प्रसाद शुद्ध गाय के घी से बनाएं। इसके अलावा अगर जीवन में कोई परेशानी है या बीमारी है तो भी माता को शुद्ध घी चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होता है।

पं शान्तनु अग्निहोत्री
ज्योतिष एवं वास्तु विचारक
jnv- हरदोई

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