किसान बिल वापस लेना किसान का भला नहीं, चुनावी हत्कण्डा : सपा

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समाजवादी पार्टी का मानना है कि आगामी महीनो मे पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। प्रेस कांफ्रेंस में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा काले कृषि कानूनों की वापसी अहंकार की हार है जनता की जीत है। भूमि अधिग्रहण के बाद यह काले कानून की वापसी लोकतंत्र की जीत है।

किसानो के हित में कानून वापस नहीं लिया, बल्कि चुनाव के लिए वापस लिया गया।सरकार माफी मांगे और इस्तीफा दे। लखीमपुर मे किसानों को कुचलने वाला अभी भी मंत्री पद से हटाया नहीं गया। नोटबन्दी का निर्णय भी जनता को परेशान करने के लिए था। भाजपा की सरकार की नीयत साफ नहीं डीएपी खाद किसानों को नहीं मिल रहा।

धान की कीमत किसानो को नहीं मिल रहा। सपा ने इन तीनो काले कृषि कानूनों के विरोध व्यापक संघर्ष किया। मंडी खत्म करने की कोशिश पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए थी। बुन्देलखण्ड में मंडिया संचालित करने के लिए सरकार ने कितना बजट दिया।

पीएम के कृषि कानूनों को वापस लेने पर विपक्ष उठा रहा सवाल

सरकार बताए महोबा मे किसानो ने तंगहाली मे आत्महत्या की। जब तक भाजपा का सफाया नहीं होगा ऐसे कानूनों का डर बना रहेगा। इस बार चुनाव में जनता इनका सफाया कर देगी। किसानो की मौत, अपमान के भाजपा और उसकी सरकार जिम्मेदार है, जनता इन्हे माफ नहीं करेगी।

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