उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizenship) के खिलाफ हिंसा करने के मामले में कार्यवाही लगातार चल रही है। लखनऊ के जिला प्रशासन ने इस मामले में 13 उपद्रवियों के खिलाफ 21 लाख रूपए का रिकवरी नोटिस (RC) जारी कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा इन 13 लोगों के होर्डिंगस लगाए गए थे।
Recovery Certificates (RCs) issued by competent court against 13 people for the recovery of damages worth Rs 21,76,000. The 13 people against whom RCs have been issued were earlier found guilty of damaging public property during the anti-CAA protests in Lucknow on 19th Dec 2019.
— ANI UP (@ANINewsUP) March 17, 2020
लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश (DM Abhishek Prakash) का कहना है कि राज्य सरकार का रुख सरकारी व निजी संपत्तियों को नुक्सान पहुंचाने वाले उपद्रवियों के खिलाफ सख्त था, है और रहेगा। प्रदेश सरकार यह कार्यवाही करके एक उदाहरण पेश करना चाहती है। इन सभी 13 उपद्रवियों को 19 दिसंबर 2019 में हुए दंगों का दोषी पाया गया था और अब इन लोगों से 21,76,000 रुपये के हर्जाने की वसूली के लिए सक्षम न्यायालय (Competent Court) द्वारा RC भेजी गई है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक के दौरान उपद्रवियों से हर्जाने वसूली के लिए यूपी रिकवरी ऑफ़ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश (UP Recovery Of Damage to Public and Private Property Ordinance) के प्रस्ताव को पास किया था जिसे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) ने मंज़ूरी दे दिया है।
CAA व NRC के उपद्रवियों के बगल में लगाया गया सेंगर व चिन्मयानंद का पोस्टर
यूपी रिकवरी ऑफ़ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को मंज़ूरी मिलने के बाद अब रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में राज्य सरकार क्लेम ट्रिब्यूनल बनाएगी और इसके निर्णय को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। वसूली का नोटिस जारी करते ही इन लोगों की संपत्तियाँ कुर्क कर ली जाएंगी। इसके अलावा सभी उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाएंगे ताकि वह अपनी संपत्तियों को बेच ना पाएं।