झांसी :। प्रदेश और देशभर में आए दिन हो रहे बलात्कार और महिलाओं के शोषण की घटनाओं पर झांसी के इलाइट चौराहे पर रंगकर्मियों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से विरोध जताया। नाटक के माध्यम से रंग कर्मियों ने दर्शाया कि हाथरस जैसे कांड के पीछे समाज के साथ कौन कौन जिम्मेदार है ? क्यों पुलिस हिंदू रीति रिवाज के विपरीत शब्द को रात में जला देती है ? सरकार क्यों पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की जगह आर्थिक मदद करना चाहती है ?
इस स्थिति को देखते हुए रंग कर्मियों ने युवा कवि रामप्रताप की पंक्ति है “जंगल में गांव हुआ, फिर गांव हुआ शहर। एक रोज हुए सब जंगली, जंगल बना शहर” से नाटक की शुरुआत की।
बताते चले कि रंग कर्मियों ने इसका उपाय बताते हुए कहा ऐसा करने वालों को ऐसी सजा देना चाहिए जिससे अपराधियों की रूह कांप उठे। जनता को सच्चाई से जागरूक कराते हुए और सरकार से पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए कलाकारों ने कहा अब और कैंडल मार्च नहीं होगा ना ही सोशल मीडिया पर स्टेटस डाल कर दो दिन में भूल ना है अब यह चिंगारी तब तक जलती रहेगी जब तक लड़ाई को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जाता।