भारत के किसी राज्य में एक नया प्रयोग देखने को मिला जब आंध्र प्रदेश की विधानसभा में सोमवार को देर रात में राज्य में तीन राजधानियां बनाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी मिल गई। इस प्रस्ताव के अंतर्गत विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी बनाया गया है। यह प्रस्ताव अब विधान परिषद में पारित किया जाएगा लेकिन इसमें सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस बहुमत में नहीं है और 58 सदस्यों वाले उच्च सदन में उसके पास मात्र 9 ही सदस्य हैं। तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के 17 विधायकों को विधानसभा में हंगामा करने पर एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। यह सभी विधायक मुख्यमंत्री के भाषण में बाधा डालने का प्रयास कर रहे थे।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार विकेंद्रीकरण पर ध्यान दे रही है जिससे ऐतिहासिक भूलों और गलतियों को सुधारा जा सके। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने राजधानी को नहीं बदला है बल्कि दो नई राजधानियों को जोड़ रहे हैं और अमरावती पहले की ही तरह राजधानी रहेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि वह किसी भी क्षेत्र के साथ अन्याय नहीं करेंगे और सभी क्षेत्रों के साथ न्याय किया जाएगा। लोगों को मै केवल ग्राफिक्स दिखा कर बेवकूफ नहीं बना सकता हूं।
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मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमे उन्होंने अमरावती को स्व-वित्तपोषित परियोजना होने की बात कही थी। आंध्र प्रदेश विधानसभा में इससे पहले विपक्ष नेता ने हाथ जोड़कर अपील करते हुए कहा था कि राजधानी को अमरावती से विशाखापत्तनम मै न बदला जाए। इस विधेयक को लेकर अमरावती के सैंकड़ों किसानों और महिलाओं ने निषोधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस अवरोधकों को तोड़कर विधानसभा के परिसर में घुसने का प्रयास किया। भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा।
N Chandrababu Naidu: Nowhere in the world for one state there are 3 capitals. Today is a black day, we wanted to save Amaravati & Andhra Pradesh. Not only me, throughout the state people are fighting and coming on roads. Govt is arresting everyone. It's bad for democracy. https://t.co/aqwAvenkac pic.twitter.com/rlRlDCAFl7
— ANI (@ANI) January 20, 2020
पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस प्रस्ताव के पास हो जाने के बाद इस दिन को कला दिन कहा और उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी के विधायकों के नेतृत्व में विधानसभा परिसर के पीछे मुख्य द्वार से कुछ मीटर की दूरी पर मार्च भी निकाला।