देश की दो बड़ी कम्पनियाँ जो की कर्जो से दबी पड़ी है। ये दो कम्पनियाँ जल्द ही बेचीं जा सकती है। आपको बता दे की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है की मार्च 2020 तक देश की दो महँगी कम्पनियाँ एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को बेच दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने साफ तौर पर कहा की सरकार चाहती है की मार्च तक एयर इंडिया और ऑइल रिफाइनर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को बेचने का प्रोसेस पूरा कर लिया जाए।
निवेशकों में दिखा उत्साह
बता दे की एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही निवेशकों में उत्साह देखा गया है। पिछले साल निवेशकों ने एयर इंडिया को खरीदने में ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया था। इसलिए इसे नहीं बेचा जा सका था। बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष में कर संग्रह में गिरावट को देखते हुए सरकार विनिवेश और स्ट्रैटजिक सेल के जरिए रेवेन्यू जुटाना चाहती है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए समय पर जरूरी कदम उठाए गए हैं और कई क्षेत्र अब सुस्ती से बाहर निकल रहे हैं। सीतारमन ने बताया कि कई उद्योगों के मालिकों से कहा गया है कि वे अपनी बैलेंस शीट में सुधार करें और उनमें से कई नए निवेश की तैयारी कर रहे हैं।
एयर इंडिया पर है करोड़ों रुपये का कर्ज
आपको बता दे की एयर इंडिया भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी है और इस पर कुल 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।पिछले साल कंपनी को तेल के ऊंचे दामों और विदेशी मुद्रा के नुकसान के कारण 4,600 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। इस बीच सरकार ने पिछले साल कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की, लेकिन इसमें किसी ने भी बोली नहीं लगाई।अभी एयर इंडिया में पूरे 100 प्रतिशत शेयर सरकार के हैं।
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एयर इण्डिया को बेचने की हो गई पूरी तैयारी
विशेषज्ञों के अनुसार पिछले साल एयर इंडिया की बिक्री में किसी ने बोली इसलिए नहीं लगाई क्योंकि निवेशकों को डर था कि अपनी बची हुई 24 प्रतिशत हिस्सेदारी से सरकार कंपनी के कामकाज में दखलअंदाजी कर सकती। यही कारण है कि सरकार ने इस बार एयर इंडिया में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है और निवेशकों में इसकी बिक्री को लेकर दिख रहे उत्साह का एक अहम कारण ये भी है।
जनिये सरकार को होगा इससे कितना फयदा
आपको बता दे की यदि हम भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड बीपीसीएल की बात करें तो ये देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है और इसकी मौजूदा पूंजी लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपये है। कंपनी में केंद्र सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अक्टूबर में कंपनी में सरकार की पूरी हिस्सेदारी को बेचने का फैसला लिया गया था।बीपीसीएल में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 65,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।